राजस्थान

Bhilwara: कामदेव ने की नारद की तपस्या भंग, नारद मोह की लीला के मंचन ने मोहा मन

Gulabi Jagat
4 Oct 2024 1:17 PM GMT
Bhilwara: कामदेव ने की नारद की तपस्या भंग, नारद मोह की लीला के मंचन ने मोहा मन
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Bhilwara। रामलीला कमेटी की ओर से बीती रात आजाद चैक में रामलीला मंचन का शुभारंभ भगवान गणेश की आरती के साथ हुआ। स्थानीय 35 कलाकारों की टीम ने पहले दिन बाल्या भील का अत्याचार, नारद का बाल्या भील को ज्ञान देना, बाल्या भील का वाल्मिकी नाम से प्रसिद्ध होना, नारद का तपस्या करना, नारद मोह, नारदञ शंकर वार्ता, विष्णु नारद संवाद, नारद का विष्णु को श्राप, कामदेव का नारद की तपस्या भंग करने का प्रयास आदि प्रसंगों का मंचन किया गया। मंचन में दर्शाया गया कि देव ऋ षि नारद की तपस्या से स्वर्ग लोक में इंद्र का सिंहासन कांपने लगा। इससे भयभीत होकर इंद्र ने कामदेव को अप्सराओं के साथ नारद मुनि की तपस्या को भंग करने के लिए भेजा, लेकिन अनेक प्रयासों के बावजूद नारद जी की तपस्या भंग नहीं हुई। कामदेव पर विजय प्राप्त कर लेने से नारद के मन में अभिमान जगा और भगवान विष्णु अपने परम भक्त के अहंकार को दूर करने के लिए लीला रची। विश्व मोहिनी की सुंदरता पर मोहित होकर नारद ने अपने आराध्य भगवान विष्णु से सुंदर रूप मांगा। विष्णु ने उन्हें बंदर का स्वरूप दे दिया इससे नारद मुनि को स्वयंवर सभा में मजाक का पात्र बनना पड़ा और भगवान विष्णु ने उस कन्या का वरण किया इससे क्रोधित होकर नारद भावावेश में आ गए और भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस तरह वह नारी वियोग की पीड़ा से
गुजर रहे हैं, उसी तरह विष्णु को भी नारी वियोग का कष्ट झेलना पड़ेगा और यही बंदर उनकी सहायता करेंगे।
बाद में नारद को अपने कथन पर पछतावा होता है। कमेटी के सचिव सचिव लादूलाल भांड ने बताया कि कथा का शुभारंभ गणपति की आरती कर महंत बाबूगिरी, महंत काठिया बाबा, महंत बलराम दास, महंत जमनादास लालबाबा, महंत विशाल शास्त्री, पुजारी मुरारी पांडे, गजानंद बजाज, नवरत्न बजाज, मंजू पोखरना, अशोक पोखरना, कन्हैयालाल स्वर्णकार, ममता शर्मा ने किया। अतिथियों का दुपट्टा पहनना कर अभिनंदन अध्यक्ष पंडित गोविंद व्यास, कार्यकारी अध्यक्ष रामगोपाल सोनी, सचिव लादूलाल भांड, मुख्य निर्देशक नंदकिशोर जीनगर, वरिष्ठ डायरेक्टर भैरूलाल सेन, कोषाध्यक्ष देवेंद्र सिंह आदि ने किया। आगामी मंचन में रामजन्म, पुष्प वाटिका, रावण-बाणासुर संवाद, लक्ष्मण परशुराम संवाद, रामसीता विवाह, मंथरा-कैकेयी संवाद, कैकेयी-दशरथ संवाद, केवट प्रसंग, सीता हरण, बाली वध, रावण सीता संवाद, हनुमान रावण संवाद, रामेश्वरम स्थापना, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण मूर्छा, कुंभकरण-मेघनाथ युद्ध, अहिरावण वघ, रावण वध, भगवान राम का राज्याभिषेक आकर्षण का केन्द्र रहेंगे।
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