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जैसलमेर। इंदिरा गांधी नहर परियोजना की नियमन योजना आठ दिसंबर से बदल जाएगी। इससे किसानों को अब साढ़े आठ दिन की बजाय 17 दिन सिंचाई का पानी मिलेगा। 8 दिसंबर से 22 फरवरी तक तीन में से एक ग्रुप में चलेगा। इस सीजन में रबी फसलों में सिंचाई शुरू होने से अधिक पानी की आवश्यकता होगी। ऐसे में माना जा रहा है कि किसानों के सामने मुश्किलें खड़ी होंगी. विदित हो कि गत सितम्बर माह में हुई जल सलाहकार समिति की बैठक में चार में से दो समूहों में आठ दिसम्बर तक नहर चलाने पर सहमति बनी थी। तीन समूहों में से एक।
हालांकि जनप्रतिनिधियों की सहमति से ही व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा, लेकिन किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि नए प्राथमिकता क्रम से गेहूं, चना और सरसों की समय पर सिंचाई नहीं हो पाएगी। इससे फसलों को भारी नुकसान होगा। किसानों का तर्क है कि इस बार भाखड़ा व पौंग बांध का जलस्तर भी अच्छी स्थिति में है। ऐसे में किसानों को फसलों के पकने तक पर्याप्त पानी देना चाहिए ताकि गेहूं, चना और सरसों की फसलों को पर्याप्त मात्रा में सिंचाई का पानी मिल सके। लेकिन 8 दिसंबर से तीन गुटों में से एक के चले जाने पर किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। हालांकि, दिसंबर महीने के लिए भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड की बैठक में हिस्सा तय किया जाएगा। किसानों को वास्तव में पानी मिलने की सही तस्वीर बैठक के बाद ही तय होगी। इंगनैप रेगुलेशन के अधीक्षण अभियंता हरीश छतवानी ने बताया कि रेगुलेशन प्लान के तहत आगामी आठ दिसंबर से दूसरे ग्रुप में पानी छोड़ा जाएगा. इसके लिए जैसलमेर में 1500 से 2 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जाएगा.
Admin4
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