
बूंदी, बूंदी लोगों को यह सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन पिछले कुछ दिनों से इलाके के बूंदी में बढ़ रहा है मंदिरों के प्रति भालू का प्यार है. रात होते ही भालू चुनिं दा मंदिरों पर एक-एक करके दस्तक देने लगता है और यह सिलसिला आधी रात तक चलता रहता है। चमावली माताजी, जड के भोम्याजी, तंबोल खाना में कंकली माता मंदिर, ताल में बालाजी का मंदिर भालुओं के प्रिय हैं। शाम होते ही इन मंदिरों के आसपास भालुओं की आवाजाही शुरू हो जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंदिरों के प्रति भालू का प्रेम भक्ति से नहीं, बल्कि मंदिरों में दीयों के लिए रखे घी के कारण जाग्रत होता है। भालू को घी बहुत पसंद है और इसी वजह से वह रोजाना मंदिरों में दस्तक देता है। मंदिरों में दीपक के लिए रखे घी को भालू खाता है। एक माह पूर्व भालू ने जड़ के भोम्याजी स्थान पर लोहे का जाल तोड़कर घी खा लिया। ऐसा ही एक वाकया चमावली माताजी मंदिर में हुआ है। स्थानीय लोगों ने कनकली माता जी के मंदिर में भालू को घी चाटते देखा है।