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जयपुर। गत 20 दिसंबर को जयपुर के मानसरोवर में एक प्रोफेसर ने 3.15 लाख रुपये की एफडी तोड़कर अपने बचत खाते में जमा करा ली और एक-दो दिन में ही पूरा बैंक खाता खाली हो गया. साइबर पुलिस ने जांच की तो पता चला कि प्रोफेसर को फिल्में देखने का शौक था।इस फ्रॉड से एक दिन पहले टेलीग्राम पर मिले लिंक के जरिए फिल्म को डाउनलोड किया गया था। जब तक प्रोफेसर फिल्म देखते, साइबर ठग कई ट्रांजैक्शन कर बैंक अकाउंट खाली कर चुके थे।सबसे हैरानी की बात यह रही कि बैंक से पैसा कटने का ओटीपी या मैसेज नहीं आया। तीन दिन बाद जब प्रोफेसर बैंक से पैसे निकालने गए तो उन्हें ठगी के बारे में पता चला।
साइबर पुलिस ने लिंक टू लिंक शुरू किया तो सामने आया कि यह साइबर ठगों का नया जाल है। साइबर क्राइम की दुनिया में इसे बैंकिंग ट्रोजन कहा जाता है। ठगी का यह तरीका इतना खतरनाक है कि पिछले साल पूरे राज्य में 50 हजार लोगों से 95 करोड़ रुपये की ऑनलाइन ठगी की गई।साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ आशुतोष शर्मा ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नई फिल्में, वेब सीरीज रिलीज होती हैं। साइबर ठगों ने बिना सब्सक्रिप्शन का पैसा दिए फ्री में नई रिलीज फिल्में देखने का शौक बना लिया है। ऐसे ऐप्स ऐसे हो गए हैं कि यूजर्स भी इनके खतरे से अंजान हैं।
टेलीग्राम ऐसे अनुप्रयोगों का सबसे बड़ा हब बन गया है। फ्री में नई फिल्में और वेब सीरीज देखने के लिए यूजर्स बिना सोचे-समझे टेलीग्राम पर अनजान ग्रुप ज्वाइन कर लेते हैं। जहां साइबर ठग ज्यादातर लोकप्रिय फिल्मों, वेबसीरीज के पायरेटेड कंटेंट लिंक भेजते हैं।साइबर अपराधी पहले यूजर्स को सीधे मूवी और वेब सीरीज डाउनलोड करने का विकल्प देते हैं। यानी आपको किसी लिंक पर क्लिक करने की जरूरत नहीं है, सीधे डाउनलोड करें और फिल्म देखें। धीरे-धीरे यूजर को बिना किसी सब्सक्रिप्शन के फ्री में नई फिल्में देखने की लत लग जाती है। ग्रुप एडमिनिस्ट्रेटर ऐसे यूजर्स पर लगातार नजर रखते हैं।
कुछ समय बाद साइबर अपराधी डायरेक्ट मूवी और वेब सीरीज डाउनलोड करने का विकल्प बंद कर देते हैं। अब साइबर ठग मूवी डाउनलोड करने के लिए ग्रुप में लिंक डालने लगते हैं। जैसे ही यूजर मूवी डाउनलोड करने के लिंक पर क्लिक करता है, उससे एक या दो एक्सेस मांगे जाते हैं। साइबर ठग इसी लिंक के साथ मालवेयर (वायरस) अटैच करते हैं। मूवी डाउनलोड होते ही आपके मोबाइल में भी मैलवेयर पहुंच जाता है।
Admin4
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