बांसवाड़ा में शुक्रवार को आसमान बादलों से घिरा रहा और रुक-रुककर बौछारें गिरती रहीं। देहात में हल्की बरसात हुई। बारिश से वातावरण ठंडा रहा। उदयपुर संभाग के सबसे बड़े माही बांध में जल आवक बनी हुई है। बांध में गत वर्ष के मुकाबले इस बार पौने 3 मीटर पानी अधिक आया है। जिले सहित माही बांध के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश का दौर बना हुआ है। इससे बांध में पानी की आवक हो रही है। हालांकि आवक होने के साथ ही जल का फैलाव बांध के पार्श्व भाग में होने से अब जलस्तर उसी अनुरुप बढ़ रहा है। शुक्रवार शाम को बांध का जलस्तर कुल भराव क्षमता 281.50 मीटर के मुकाबले 275.90 मीटर हो गया है। यह पिछले वर्ष के जलस्तर 273.10 मीटर से पौने तीन मीटर अधिक है। ऐसे में अच्छी बारिश के साथ ही बांध के गेट खुलने का इंतजार है।
इधर, शुक्रवार को सुबह आठ से शाम पांच बजे की अवधि में दानपुर में 20, भूंगड़ा में 15, जगपुरा में 10, घाटोल में सात, केसरपुरा में दो व बांसवाड़ा में एक मिमी बारिश रिकार्ड की गई। जबकि सुबह आठ बजे समाप्त बीते 24 घंटों में केसरपुरा में 39, दानपुर 34, भूंगड़ा 25, लोहारिया 19, घाटोल 18, जगपुरा 17, बांसवाड़ा में 11 व सज्जनगढ़ में 6 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। बारिश के बाद बांसवाड़ा शहर और आसपास हरियाली की चादर बिछी हुई है। शहर के समीप समाई माता की पहाड़ी से कागदी पिकअप वियर और शहर के उत्तर-पूर्वी छोर का विहंगम दृश्य।
8 साल में वागड़ से 61.4 इंच ज्यादा बारिश हाड़ौती में
बांसवाड़ा को प्रदेश का ‘चेरापूंजी’ कहा जाता रहा है लेकिन अब झालावाड़ भी बादलों के नए ठिकाने के रूप में सामने आ रहा है। पिछले 8 साल में बादलों ने बांसवाड़ा से 61.4 इंच (1560.3 एमएम) ज्यादा बारिश झालावाड़ में की है। मौसम विभाग के अनुसार बांसवाड़ा में औसत बारिश 886 एमएम और झालावाड़ में 884.3 एमएम मानी गई है। 2017 व 2020 काे छाेड़ दें ताे बीते 8 साल झालावाड़ में सर्वाधिक बारिश हुई। मौसम विशेषज्ञ इसे बारिश का ट्रेंड मान रहे हैं। कारण- मानसून की एंट्री झालावाड़ के रास्ते से हो रही है, विक्षोभों का भी असर है। इस सीजन में भी 28 जुलाई तक बांसवाड़ा में 372.3 व झालावाड़ में 376.4 एमएम बारिश हुई है यानी 4 एमएम ज्यादा।