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कोटा । नगर निगम कोटा दक्षिण में अधिकारियों द्वारा संवेदक को लाभ पहुंचाने के लिए करीब 40 लाख से अधिक के काम का कार्यादेश बिना टेंडर के ही जारी करने का आरोप लगाया गया है। यह कार्य 5 सेक्टरों में कचरा परिवहन की ट्रेैक्ट्रर ट्रॉली लगाने का है। यह मामला एक दिन पहले नगर निगम कोटा दक्षिण की वित्त समिति की बैठक में उठा। समिति के अध्यक्ष पार्षद देवेश तिवारी की अध्यक्षता में बैठक हुई। बैठक में वार्ड 1 से भाजपा पार्षद दिलीप अरोड़ा समेत कई अन्य पार्षदों ने आरोप लगाया कि अतिरिक्त आयुक्त ने वार्डों में कचरा परिवहन के लिए लगने वाली हाइड्रोलिक ट्रेैक्ट्रर ट्रॉली का काम एक संवेदक को लाभ पहुंचाने के लिए बिना टेंडर के ही जारी कर दिया है। जबकि नियमानुसार एक लाख से अधिक का कोई भी काम बिना टेंडर जारी किए नहीं कराया जा सकता है। इस मामले को लेकर बैठक में आरोप प्रत्यारोप का दौर चला। साथ ही अधिकारियों व पार्षदों के बीच विवाद भी हुआ था।
नगर निगम कोटा दक्षिण के अतिरिक्त आयुक्त अम्बालाल मीणा के हस्ताक्षर से 4 अक्टूबर को यह कार्यादेश साबरमती कॉलोनी स्थित एक फर्म के संवेदक को जारी किया गया। इस कार्यादेश के अनुसार संवेदक को 7 अक्टूबर से 3 माह के लिए काम करना होगा। कार्य के तहत सेक्टर 5 से 9 के 41 वार्डों में 27 हाइड्रोलिक ट्रेक्टर ट्रॉली के माध्यम से वार्डों में कचरा पाइंट से कचरा उठवाकर कचरा ट्रांसफर स्टेशन तक पहुंचाना है।
वित्त समिति की बैठक में इस मामले को गम्भीर मानते हुए समिति के सदस्य पार्षद दिलीप अरोड़ा ने कहा कि निगम ने एक संवेदक को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया है। जबकि नियमानुसार अन्य संवेदकों को भी मौका देने के लिए टेंडर जारीे करना चाहिए था। वहीं वित्त समिति के अध्यक्ष देवेश तिवारी ने बताया कि जब निगम में नियम है कि 1 लाख से अधिक के काम का टेंडर जारी होगा। उसमें भाग लेने वाली फर्मों को नियमानुसार ही टेंडर में सफल होने पर कार्यादेश जारी किया जाएगा। फिर निगम अधिकारियों द्वारा बिना टेंडर सीधे कार्यादेश जारी करना गलत है। वह भी 40 लाख से अधिक के काम का। एक दिन पहले वित्त समिति की बैठक में यह मामला उठा था। उसके बाद समिति ने निर्णय लिया है कि इस मामले की जांच करवाई जाए। इस संबंध में अधिकारियों को जांच करने के लिए कहा गया है। अतिरिक्त आयुक्त अम्बालाल को इस संबंध में फोन किए लेकिन उन्होंने कोई फोन नहीं उठाया।
कार्यादेश के अनुसार नगर निगम द्वारा संवेदक को 47 हजार 885 रुपए प्रति माह प्रति ट्रेैक्ट्रर ट्रॉली के हिसाब से भुगतान किया जाएगा। यह कार्य तीन माह तक करना है। ऐसे में 41 वार्डों में 27 ट्रेैक्ट्रर ट्रॉली हर माह के हिसाब से तीन माह में कुल 81 ट्रेैक्ट्रर ट्रॉली का भुगतान किया जाएगा। यह भृगतान 47885 रुपए प्रति ट्रेैक्ट्रर ट्रॉली होगा। इस हिसाब से यह राशि करीब 40 लाख से अधिक की हो रही है।
संवेदक को पूर्व में स्वीकृत दर पर ही कार्यादेश जारी किया होगा। पुराना कार्यादेश की अवधि पूरी होने पर उस अवधि को बढ़ाने का प्रावधान भी है। यदि इस मामले में बिना टेंडर के इतनी अधिक राशि का कार्यादेश जारी करने का मामला है तो उसे दिखवाकर उसकी जांच करवाई जाएगी।
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