अजमेर: रूपनगढ़ में 22 सितंबर को दो गुटों में खूनी संघर्ष हुआ था । गाड़ियों में भरकर पहुंचे बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं। लोगों को गाड़ियों से कुचलने की कोशिश की गई। फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई। दहशत के चलते बाजार बंद हो गए। लोगों ने बदमाशों की गाड़ियों में तोड़फोड़ की और एक जेसीबी को आग लगा दी।
रूपनगढ़ पंचायत की शहर में 5 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत की सरकारी जमीन पर पट्टा मिलने से पहले ही 12 लोग कब्जा कर दुकानें बनाने की कोशिश कर रहे थे। जमीन पर भू-माफिया और किशनगढ़ के पूर्व कांग्रेस विधायक नाथूराम सिनोदिया के बेटे भंवर सिनोदिया के बेटे भंवर सिनोदिया की हत्या के मामले में सजा काट रहे बलवाराम चौधरी और उनके बीआरसी ग्रुप की भी नजर थी.
घटना से एक दिन पहले जेल में बंद बलवाराम ने अपने भतीजे दिनेश को मौके पर भेजा था और कब्जा करने वाले लोगों में से एक फिरोज को धमकी दी थी कि वह उसकी अनुमति के बिना यहां कब्जा न करे। इसके बाद जब अगले दिन यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ तो उसके गैंग और बीआरसी ग्रुप के लोगों ने यहां हमला कर दिया. वहीं, मौके पर विवाद की आशंका के चलते कब्जाधारियों ने भी बड़ी संख्या में अपने लोगों को इकट्ठा कर लिया था.
दोनों पक्षों के बीच करीब 20 मिनट तक झड़प हुई और वाहनों व जेसीबी में तोड़फोड़ हुई। इसी दौरान फायरिंग में गोली लगने से वहां काम कर रहे एक मजदूर शकील लंगा की मौत हो गई. फायरिंग में ठेकेदार नारायण कुमावत घायल हो गया. इस मामले में जीवन खां नाम के व्यक्ति ने बीआरसी ग्रुप के प्रदीप, नाहरू, दिनेश चौधरी, पुखराज, नरेश और हनुमान समेत अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.
सरपंच का दावा गलत है: इस मामले में एक नया खुलासा हुआ है. अब तक स्थानीय सरपंच इकबाल छीपा का दावा था कि एक ही पार्टी के अलग-अलग लोग कई सालों से यहां कब्जा कर रहे हैं. उनके ही आवेदन पर पंचायत उन्हें पट्टा देने की कार्रवाई कर रही है। इस जगह पर पहले किसी का कब्जा नहीं था। खूनी संघर्ष से एक दिन पहले उस जगह की साफ-सफाई और पक्का निर्माण कर कब्जा करने की कोशिश की जा रही थी.