राजस्थान

अजमेर और भीलवाड़ा सबसे असुरक्षित, 13,570 नाबालिग लापता

Gulabi Jagat
25 July 2022 1:02 PM GMT
अजमेर और भीलवाड़ा सबसे असुरक्षित, 13,570 नाबालिग लापता
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प्रदेश में हर दिन बच्चों के लापता होने के कई मामले सामने आ रहे हैं
भरतपुर. प्रदेश में हर दिन बच्चों के लापता होने के कई मामले सामने आ रहे हैं. इनमें से कुछ किसी के बहकावे में आकर घर से निकल जाते हैं, कुछ अपहरण का शिकार हो जाते हैं, कुछ अभिभावक के डांट से नाराज होकर घर छोड़ निकल जाते हैं. बीते 3 सालों में प्रदेश के गुमशुदा/लापता होने वाले बच्चों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. बच्चों की गुमशुदगी के मामले में जयपुर के बाद अजमेर और भीलवाड़ा टॉप पर हैं. पुलिस ने अधिकतर लापता बच्चों को दस्तयाब कर लिया है, लेकिन गुमशुदा बच्चों के आंकड़े अभी भी काफी ज्यादा हैं.
सैकड़ों बच्चों के मिलने का इंतजार : पुलिस विभाग के आंकड़ों की मानें तो वर्ष 2019, 2020, 2021 और जनवरी 2022 में पूरे प्रदेश (Children missing in Rajasthan) में कुल 13,597 नाबालिग बच्चे लापता हुए थे. इनमें से 12,918 बच्चों को दस्तयाब कर लिया गया है, लेकिन अभी भी राजस्थान में 697 बच्चे लापता हैं.
इन शहरों में सर्वाधिक नाबालिग लापता : विभागीय आंकड़ों के अनुसार उक्त अवधि में जयपुर में सबसे ज्यादा 1636 बच्चे लापता हुए. इनमें से 1562 को दस्तयाब कर लिया गया है. वहीं, अजमेर में 838 लापता हैं जिनमें से 765 को दस्तयाब, भीलवाड़ा में 832 लापता जिनमें से 804 को दस्तयाब किए गए हैं. वहीं, गुमशुदगी के मामले में प्रदेश में जैसलमेर सबसे ज्यादा सुरक्षित जिला है. उक्त अवधि में जिले में से 37 नाबालिग लापता हुए और सभी को दस्तयाब भी कर लिया गया.
ग्राफिक्स से समझिए आंकड़ें :
जानिए जिलों की स्थिति
संभाग में करौली अव्वल : पूरे भरतपुर संभाग की बात करें तो वर्ष 2019 से जनवरी 2022 के दौरान करौली जिले में सबसे ज्यादा नाबालिग बच्चे लापता हुए. करौली में 230 नाबालिग बच्चे लापता हुए, जिनमें से 207 बच्चों को दस्तयाब कर लिया गया है. इसी तरह भरतपुर में लापता 87 में से 81 दस्तयाब, धौलपुर में 64 लापता में से 60 दस्तयाब और सवाई माधोपुर में 62 में से 60 दस्तयाब कर लिए गए हैं.
पुलिस अधीक्षक श्याम सिंह ने बताया कि जिले में नाबालिग बच्चों के गुमशुदगी/लापता के मामले सामने आते हैं, लेकिन इनके पीछे की वजह मानव तस्करी बिल्कुल नहीं है. जिले में मानव तस्करी के केस शून्य हैं. अधिकतर बच्चे घर से परिजनों से झगड़ा कर के, रूठ कर या परिजनों के डांटने पर निकल जाते हैं. अधिकतर बच्चों को बहुत कम समय में दस्तयाब कर लिया जाता है. कुछ अपहरण के केस भी सामने आते हैं, जिनमें पुलिस सख्ती से पड़ताल कर नाबालिगों को दस्तयाब करने की कार्रवाई करती है.
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