राजस्थान: राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होंगे. लिहाज़ा कांग्रेस अपने सभी ढीले अस्त्र टाइट करने में जुट गई है. आज दिल्ली में राजस्थान कांग्रेस की बड़ी बैठक हुई. जानिए बैठक में क्या-क्या हुआ. राजधानी दिल्ली में राजस्थान संकट पर कांग्रेस की आज करीब चार घंटे तक बैठक हुई. यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की मौजूदगी में हुई. बड़ी बात यह है कि बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे वक्त से चल रहा झगड़ा सुलझा लिया गया. कांग्रेस आलाकमान ने सचिन पायलट की तीनों मांगे मान ली. इस बैठक में राजस्थान के करीब 29 नेता मौजूद रहे.
पैर में चोट के चलते अशोक गहलोत वर्चुअली जुड़े. बैठक में राहुल गांधी ने अशोक गहलोत की योजनाओं की तारीफ की तो सचिन पायलट के बीजेपी सरकार के भृष्टचार के खिलाफ अनशन को भी जायज ठहराकर संतुलन साधा. बैठक में यह तय हो गया कि चुनाव में सीएम गहलोत ही रहेंगे, लेकिन चुनाव 2023 कर्नाटक मॉडल पर लड़ा जाएगा, जिसमें कोई चेहरा नहीं होगा और जीत के बाद मुख्यमंत्री तय होगा. गहलोत सरकार में मंत्री प्रताप खाचरियावास ने भी साफ कर दिया कि हम खरगे और राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे और कर्नाटक की तर्ज पर जीतेंगे.
चार घंटे की इस मैराथन के बाद गुपचुप बैठकों का दौर शुरू हुआ. कांग्रेस ने दावा किया है कि राजस्थान का विवाद सुलझ गया है और पायलट की तीन प्रमुख मांगें मान ली गईं. जिसके मुताबिक- अहम मुद्दा गहलोत-सचिन विवाद को सुलझाने का था तो सुलझ गया. अब भले ही फिलहाल सचिन पायलट संतुष्ट हों, लेकिन उनकी भूमिका का आधिकारिक ऐलान एक हफ्ते के भीतर होना है. अब सवाल यह है कि कांग्रेस और राजस्थान की सियासत में पायलट का रोल क्या होगा? जब झगड़ा चल रहा था तब पायलट को डिप्टी सीएम के पद से हटाया गया. बाद में प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया गया. वर्तमान में वह सिर्फ एक विधायक हैं.
कांग्रेस गहलोत को वर्तमान और पायलट को भविष्य के नेता के तौर पर मानती रही है, जिसके चलते दोनों को एक साथ लेकर चल रही है. तमाम शिकायतों और अपत्तियों के बावजूद गहलोत सीएम पद से हटाए नहीं गए. अब सवाल यह भी है कि कांग्रेस पायलट को क्या रोल देगी? क्या फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी या चुनाव प्रचार समिति अध्यक्ष बनाएंगी? हो सकता है कि कांग्रेस उनको कुछ महीने के लिए फिर से डिप्टी सीएम बना दे.