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टोंक। टोंक बीसलपुर बांध के जलभराव से जुड़ी बनास नदी में बजरी की अधिकता के साथ ही बांध का साफ व मीठा पानी होने के चलते यहां की मछली स्वादिष्टता के कारण दिल्ली व शिलीकुडी की मछली मंडी में मांग अधिक है। इसके साथ ही दिल्ली व शिलीकुडी मछली मंडियों में बीसलपुर बांध की मछली की राज्य के अन्य बांधों की मछलियों से यहां की मछलियों की कीमत भी अधिक होती है। राजमहल. जलाशयों में मत्स्य विभाग की ओर से मछलियों में प्रजनन को लेकर लगाई गई रोक हटाने के साथ ही मत्स्य आखेट की नाव दौड़ने लगी है। पिछले ढाई माह से शांत पड़े तालाबों, बांधों, नाड़ियों में फिर से मत्स्य आखेट शुरू हो गया है। इसी को लेकर राज्य की लाइफ लाइन कहे जाने वाले बीसलपुर बांध में मत्स्य आखेट शुरू होने के साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान आदि राज्यों के शिकारियों ने मछली संवेदक के अधीन बांध में ढेरा ढालकर मत्स्य आखेट की तैयारियां शुरू कर दी गई है।
मत्स्य विभाग की ओर से हर वर्ष मानसून सत्र के दौरान 15 जून से लेकर 31 अगस्त तक मछलियों में होने वाले प्रजनन को मत्स्य आखेट पर रोक लगाई जाती है। यह रोक प्राकृतिक जलाशयों जो मत्स्य विभाग के अधीन आते हैं। उसी में लागू होती है। वहीं किसानों के खातेदारी भूमि पर बने तालाब फार्मपौंड आदि इस रोक से खुले रहते हैं। बीसलपुर बांध में मत्स्य आखेट को लेकर दिए जाने वाले टेंडर से प्रतिवर्ष छह करोड़ से अधिक की राजस्व आय प्राप्त होती है।
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