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जोधपुर। जिले के शेरगढ़ के भूंगरा गांव में विवाह समारोह में हुए गैस सिलेंडर विस्फोट मामले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 32 हो गई. देर रात एक और मरीज ने दम तोड़ दिया. ऐसे में अब हर कोई मौतों के सिलसिले को थमने की प्रार्थना कर रहा है. इस दुखांतिका का कोई अंत क्यों नहीं हो रहा? आखिर कब थमेगा मौत का यह तांडव?
गौरतलब है कि आठ दिसंबर की रात को शेरगढ़ उपमंडल में हुए सिलेंडर विस्फोट के इस हादसे से आग लग गई थी जिसमें 50 से ज्यादा लोग झुलस गए थे. बुधवार को उनमें से चार लोगों की मौत हुई थी. वहीं गुरुवार को भी 4 और घायलों ने दम तोड़ा. उसके बाद देर रात एक और मरीज की सांसे थम गई.
गैस सिलेंडर ब्लास्ट ने दूल्हे सुरेंद्र सिंह, परिवार और रिश्तेदारों के ऊपर विपत्ति का ऐसा पहाड़ ढहा दिया है कि मापना संभव नहीं है. दूल्हे सुरेंद्र का एक भाई अंत्येष्टि करने के लिए गांव में ही रूका हुआ है. वह घायलों को देखने अस्पताल तक नहीं जा पा रहा. पिछले 5 दिन से गांव में रोज लाशें आ रही है. वहीं अभी भी कुछ घायल जोधपुर के अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं.
इसबीच, गुरुवार की सुबह मृतकों के परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया और अधिक मुआवजा राशि तथा सरकारी नौकरी की मांग को लेकर एमजी अस्पताल के बाहर प्रदर्शन किया. शेरगढ़ से कांग्रेस विधायक मीना कंवर और भोपालगढ़ से आरएलपी विधायक पुखराज गर्ग ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हादसे में मरने वालों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये, घायलों को एक-एक लाख रुपये और चिरंजीवी योजना के तहत पांच लाख रुपये की घोषणा की है. हालांकि प्रदर्शनकारी घायलों के लिए 25 लाख रुपये और मृतकों के परिजनों के लिए 50 लाख रुपये तथा सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं.
Admin4
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