राजस्थान

हो रहे हादसे, मवेशी से सड़क दुर्घटना तो मामला दर्ज क्यों नहीं

Admin4
11 Oct 2022 10:58 AM GMT
हो रहे हादसे, मवेशी से सड़क दुर्घटना तो मामला दर्ज क्यों नहीं
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कोटा। कैटल फ्री सिटी का सपना अभी साकार नहीं हो पा रहा है। मुख्य कारण पशु मालिकों पर कठोर कानून लागू नहीं किए जा रहे है। निगम की ओर से जुर्माना देकर ही पशुओं छोडने का नियम होने से शहर कैटल फ्री नहीं हो पा रहा है। रेलवे में जहां ट्रेक पर पशुओं के आने पर उनके मालिकों पर केस और जुर्माना के साथ सजा के प्रावधान है वैसे ही कड़े नियम शहर की सड़कों पर विचरण वाले पशुओं के मालिकों लागू करें तो निश्चित ही शहर कैटल फ्री बन सकता है। शहरवासियों का कहना है कि पशुओं से होने वाली दुर्घटना रोकने के लिए नगर निगम की ओर से कड़े नियम और सजा के प्रावधान लागू करने पर ही शहर कैटल फ्री बन सकता है।

नए नियमों में ये शर्तें भी शामिल जिनकी नहीं हो रही पालना

- गाय या भैंस बांधने के स्थान का पशु घर के रूप में 1 हजार रुपए चुकाकर लाइसेंस लेना होगा। बिना लाइसेंस चारा बेचा तो जुर्माना भरना पड़ेगा।

- पशु लावारिस घूमता मिला तो प्रति पशु 500 रुपए परिवहन और 100 रुपए प्रतिदिन चारे के वसूले जाएंगे।

- लाइसेंसशुदा पशु के सड़क या बाहर मिलने पर पहली बार 5 हजार और दूसरी बार 10 हजार जुर्माना लगेगा।

- शहरों में सार्वजनिक स्थान पर रिजका, चारा की बिक्री नहीं कर सकेंगे। बिना लाइसेंस चारा बेचने पर 500 रुपए जुर्माना लगेगा।

- हर साल 31 मार्च को लाइसेंस की अवधि खत्म होगी, 1 अप्रैल को शुल्क देकर नया लाइसेंस लेना होगा।

- पशु घर 100 वर्गगज का रखने के साथ 200 वर्गफीट तक कवर करना, 250 वर्गफीट तक खुला रखना जरूरी होगा।

- पशुघर के ऊपर कोई मकान आदि रहवासी स्थान नहीं बना सकेंगे।

- पशुघर में गड्ढा बनाकर गोबर-मूत्र आदि एकत्र करना होगा और गंदगी पाए जाने पर 5000 रुपए जर्माना लगेगा।

- 95 फीसदी आबादी पर होगा नए नियमों का असर जिन लोगों के मकान 500 वर्गमीटर से बड़े होंगे, वे ही 100 वर्गगज जमीन एक गाय बछड़े के लिए अलग रख सकते हैं। शहरों में 500 वर्गमीटर से बड़े आवासों वाले लोग 5% भी नहीं हैं। यानि 95% आबादी गाय-भैंस नहीं खरीद सकता है।

सजा के प्रावधान को शामिल करने पर ही मिलेगी लावारिस पशुओं से राहत

आमजन को लावारिस विचरण करने वाले पालतू पशुओं के आंतक से राहत देने के लिए राजस्थान सरकार के स्वायत्त शासन विभाग ने नए गोपालन नियम लागू तो कर दिए लेकिन शहर में यह मूर्तरूप नहीं ले रहे है। जिससे शहर में सड़को अभी लावारिस मवेशी घूम रहे है। रेलवे ट्रेक पर किसी पशु पालक पशु आता है तो उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ऐसा ही नियम सड़का पर विचरण करने वाले पशु मालिकों पर लागू होना चाहिए। नये गोपालन नियम के तहत पशु मालिक को पाबंद करना होता है, ताकि पड़ोस में रहने वालों को गोबर-मूत्र आदि से कोई परेशानी न हो। नए नियमों के जरिए प्रदेश के 213 शहरों में गाय- भैंस पाली जा सकेगी। साथ रोड पर पशु दिखाई देने पर जुर्माना और सजा के प्रावधान भी लागू किए हुए लेकिन कोटा नगर निगम की ओर से पशुओं को पकड़ने पर परिवहन का ही जुर्माना वसुला जाता है। जिससे पशु पालक बेहिचक रोड पर पशुओं को छोड़ देते है।

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