जयपुर: भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक हेमंत प्रियदर्शी 2 दिन में ही बैकफुट पर आ गए। उन्होंने आदेश को वापस ले लिया। अब एसीबी फिर से भ्रष्टाचारियों के नाम भी उजागर करेगी और फोटो भी जारी करेगी। प्रियदर्शी ने आदेश जारी कर ब्यूरो की ओर से समस्त चौकी प्रभारियों, यूनिट प्रभारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि ट्रेपशुदा आरोपी, संदिग्ध नाम और रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए व्यक्ति का फोटो को तब तक सार्वजनिक नहीं करे, जब तक कि आरोपियों का न्यायालय द्वारा दोष सिद्ध नहीं हो जाता है। खासतौर से आदेश में मीडिया के लिए ये रोक लगाई गई थी। यानी कि आरोपी का फोटो, नाम, मीडिया या अन्य किसी व्यक्ति, विभाग में सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। आरोपी जिस विभाग में कार्यरत है, उसका नाम और आरोपी का पदनाम की सूचना ही सार्वजनिक की जाएगी। अगर इस आदेश की अवहेलना की जाती है, तो इसकी समस्त जिम्मेदारी ट्रेपकर्ता अधिकारी और अनुसंधान अधिकारी की होगी।
चौतरफा आलोचनाओं के बाद खुली आंख: एसीबी के एडीजी की ओर से जारी इस आदेश को लेकर प्रदेशभर में तीखी प्रतिक्रियाएं हुई थी। प्रतिपक्ष भाजपा के नेताओं ने इस आदेश को भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला करार दिया था। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार में काबीना मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने भी आदेश का विरोध किया था। विधायक संयम लोढ़ा ने एसीबी के एडीजी की ओर से बुधवार को जारी आदेश को गलत करार दिया था। खाचरियावास ने कहा था कि इस तरह के आदेश से घूसखोरों में खौफ कम हो जाएगा। इसके साथ उनके बारे में आमजन को कोई जानकारी नहीं होगी। इस आदेश के बाद जो लोग भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ रहे हैं, वे पस्त हो जाएंगे। उनके कदम एसीबी की चौकी और यूनिट में जाने से पहले लड़खड़ा जाएंगे। इससे प्रदेश में घूसखोरी बढ़ेगी।