राजस्थान
'आधार कार्ड' ने खोल दी फर्जीवाड़े से सेना में भर्ती होने के आधार की पोल
Shantanu Roy
22 Nov 2022 5:28 PM GMT

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बड़ी खबर
अजमेर। अजमेर जिले के बांदरसिंदरी थाना इलाके की ग्राम काकनियावास स्थित देसवाली ढाणी के रहने वाले मोइनुद्दीन पुत्र मोहम्मद नूर के आधार कार्ड ने फर्जीवाडे से सेना में भर्ती होने के तैयार किए गए आधार की पोल खोल कर रख दी। एक अदद नौकरी पाने के इस शातिराना कारनामें से सोने की लंका बना राज करने का ख्वाब देख रहे मोइनुद्दीन की लंका उसी के समाजबंधु ने विभीषण की भूमिका अदा करते हुए रक्षा मंत्रालय तक शिकायत पहुंचा कर ढहा दी। शिकायत करने वाला गफूर खॉ वह व्यक्ति है जिसने मोइनुद्दीन को अपने दामाद के रूप में पसंद किया था। मोइनुददीन के पिता मोहम्मद नूर के दोनों पुत्रों मोइनुददीन और आसिफ के साथ उसने अपनी बेटियों का निकाह कर उनके सपनों का घर संसार सजाने की मन्नत कर रखी थी। समय आया तो छोटे बेटे आसिफ ने तो गफूर खॉ की छोटी बेटी से निकाह भी कर लिया क्योंकि उसकी सेना में नौकरी लग गई थी। किन्तु बड़े बेटे मोइनुददीन ने बेरोजगारी के चलते शादी करने से इंकार कर दिया। मोहम्मद नूर और गफूर खां के बीच रिश्तों में खटास समय के साथ इस तरह बढ़ी की छोटे बेटे आसिफ ने भी कुछ माह बाद पत्नी को त्याग दिया। दो बेटियों का पिता इस आधात को सह नहीं सका। और उसने अवसर आने पर उसका सुख चैन छीनने वालों के पूरे ही घर-परिवार की नींव उखाड़ कर रख दी।
बांदरसिंदरी थाना प्रभारी प्रभाती लाल बताते हैं कि रक्षा मंत्रालय की शिकायत अजमेर पुलिस अधीक्षक चुनाराम जट के पास पहुंची थी। जिन्होंने उन्हें जांच कर रिपोर्ट करने को कहा था। जांच में पता चला कि मोहम्मद नूर के परिवार में दो बेटे मोइनुददीन और आसिफ है तथा तीसरी लड़की सलमा बानो ही है। जबकि रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार मोहम्मद नूर से तीन बेटे जिनमें सबसे बड़े बेटे मोइनुददीन की मौत हो चुकी है दूसरा बेटा आसिफ तथा तीसरा बेटा मोहिन सिसोदिया है। मोहिन सिसोदिया ने ही सेना में आसिफ की सिफारिश पर नौकरी पाई थी। वर्तमान में वह राजपूताना राइफल्स में कार्यरत है और वर्तमान में जयपुर बटालियन नंबर 24 में तैनात है। पुलिस के अनुसार गांव में जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि मोहम्मद नूर को तीसरा बेटा कोई नहीं है मोइनुददीन ही मोहिन सिसोदिया बन गया है जिसने फर्जीवाड़े से सेना में नौकरी प्राप्त की है। थानाधिकारी प्रभातीलाल ने सारी जांच करने के बाद प्रारम्भिक रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को भेज दी है जिसके आधार पर पहले मोईनुददीन को निलम्बित किया गया है और आगे उसे बर्खास्त किया जाएगा तक उसकी गिरफ्तारी होगी और आगे अनुसंधान किया जाएगा।
थानेदार प्रभाती लाल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला कि मोईनुददीन ओवरएज होने के कारण सेना में भर्ती नहीं हो पाया था लिहाजा उसने बहुत ही शातिराना दिमाग से कहानी रची जिसमें पहले मोईनुददीन को मृत घोषित कर तमाम दस्तावेज तैयार करवा लिए और मोहिन सिसोदिया नाम से गांव में ही एक स्कूल से आठवीं पास की अंकतालिका बनवा ली। इस अंकतालिका के आधार पर एक अन्य स्कूल में 9वीं कक्षा में प्रवेश पाया। फिर दसवीं की बोर्ड परीक्षा दी। जिसमें उसने अपना जन्मदिन भी बदल दिया। यह उसने अपनी उम्र कम बताने के लिए किया। दसवीं की अंकतालिका के आधार पर उसने आधार कार्ड में अपना नाम मोइनुददीन के बदले मोहिन सिसोदिया संशोधित करवा कर उसमें जन्म तारीख भी बदलवा दी। इसी के आधार पर उसने अपने भाई आसिफ की अभिशंसा पर सेना में नौकरी भी प्राप्त कर ली। वर्ष 2021 में जैसे ही मोइनुददीन की सेना में नौकरी लगने की खबर गांव में फैली तो सूचना पास के गांव में रहने वाले गफूर खां के कान तक भी पहुंची। गफूर पहले तो माजरा समझ नहीं पाया कि जो व्यक्ति ओवरएज है उसकी सेना में नौकरी लग कैसे गई। गफूर खान ने सारी पड़ताल करने के बाद रक्षा मंत्रालय को शिकायत कर दी। फिर जो हुआ उससे मोहम्मद नूर के घर-परिवार का ना सिर्फ सुख-चैन छिन गया अपितु उसके चेहरे का नूर भी अब जाता रहा। फिलहाल पुलिस इस मामले में अनुसंधान कर रही है।
पुलिस फाइल के अनुसार पूरी रिपोर्ट इस प्रकार है। 46 साल का नूर मोहम्मद गांव में खेती करता है। परिवार में पत्नी फातिमा, बड़ा बेटा मोइनुद्दीन, छोटा बेटा आसिफ और एक बेटी सलमा बानो है। जिसकी शादी हो चुकी है। मोइनुद्दीन का जन्म 6 नवंबर 1998 को हुआ और आसिफ का जन्म 5 जुलाई 2001 को हुआ। मोइनुद्दीन ने 2013 में दसवीं पास की। 2018 में सेना भर्ती हुई और उसके छोटे भाई आसिफ का उसमें चयन हो गया। मोइनुद्दीन भी सेना में जाना चाहता था, लेकिन वह ओवरएज हो रहा था। इसके बाद मोहनुद्दीन ने साजिश रची। खुद को मरा हुआ बताया और अपना मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लिया। डेथ सर्टिफिकेट में लिखा था- मोइनुद्दीन की 18 अगस्त 2019 को मौत हो चुकी है। इसके बाद मोइनुद्दीन ने मोहिन सिसोदिया के नाम से 2019 में दसवीं की परीक्षा दी। पास होने के बाद मोहनुद्दीन को मोहिन सिसोदिया के नाम से बोर्ड मार्कशीट मिल गई। इस पर पिता का नाम नूर मोहम्मद, माता का नाम फातिमा बानो ही रहा, लेकिन डेथ ऑफ बर्थ 6 नवंबर 1998 से बदलकर हो गई 6 नवंबर 2001। यानी मोइनुद्दीन उम्र में अपने छोटे भाई से भी छोटा हो गया। मोइनुद्दीन को सेना में जाने के लिए अपनी उम्र कागजों में कम दिखानी थी। इसके लिए जरूरी था कि उसकी दसवीं की मार्कशीट और आधार कार्ड पर नई जन्म तारीख हो, लेकिन यह संभव नहीं था। ऐसे में पहले उसने खुद का डेथ सर्टीफिकेट बनवाया। जिसके लिए उसके पिता मोहम्मद नूर ने पंचायत से मिलीभगत की। 2019 में सरपंच ने मोइनुद्दीन की मौत की पुष्टि कर अनुशंषा कर दी। इसके बाद आवेदन ग्रामसचिव ने वेरिफाई किया और फिर तहसीलदार ने। कहीं कोई जांच नहीं हुई और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो गया।
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