राजस्थान

जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले के अंदर स्थित है एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर, जहां सपरिवार हैं विराजे

Bharti sahu
17 May 2022 12:53 PM GMT
जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले के अंदर स्थित है एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर, जहां सपरिवार हैं विराजे
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राजस्थान की राजधानी जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले के अंदर एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर है।

राजस्थान की राजधानी जयपुर से 150 किलोमीटर दूर सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले के अंदर एक प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यहां के विनायक को भारत का प्रथम गणेश कहते हैं, जिनकी तीन आखें हैं। यह देश का पहला मंदिर है, जिसमें भगवान अपनी दोनों पत्नी रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजमान हैं।

त्रिनेत्र गणेश मंदिर
त्रिनेत्र गणेश मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यहां आने वाले पत्र हैं। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी हर मुराद पूरी होती है। इसलिए देशभर से भक्त अपने घर में होने वाले हर मंगल कार्य का पहला निमंत्रण पत्र त्रिणेत्र गणेश को भेजते हैं। इसके साथ ही श्रद्धालु डाक से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान को अर्जी लगाते हैं।
मंदिर में सपरिवार विराजमान हैं गणेश
मंदिर में पोस्टमैन भक्तों के डाक लेकर पहुंचता है। डाक भेजने का पता है-'श्री गणेश जी, रणथंभौर का किला, जिला-सवाई माधोपुर, राजस्थान। मंदिर के पुजारी सभी चिट्ठियों और निमंत्रण को भगवान के चरण में रख देते हैं।
मंदिर में बड़ी संख्या में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
कृष्ण गणेशजी की पूजा करना भूल गए
एक मान्यता के अनुसार द्वापर युग में भगवान कृष्ण का विवाह रूकमणी से हुआ था। इस विवाह में कृष्ण गणेशजी को बुलाना भूल गए। जिसके बाद क्रोधित गणेशजी के वाहन मूषकों ने कृष्ण के रथ के आगे-पीछे सब जगह गड्ढा खोद दिया। ऐसे में कृष्ण ने तुरंत गणेशजी को मनाया। कहा जाता है की तभी से गणेशजी हर मंगल कार्य करने से पहले पूजे जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने जहां गणेशजी को मनाया, वह स्थान रणथंभौर था। यही कारण है कि रणथंभौर गणेश को भारत का प्रथम गणेश भी कहते हैं। दूसरी मान्यता ये भी है कि भगवान राम ने लंका कूच से पहले गणेश जी के इसी रूप का अभिषेक किया था।
रणथंभौर किले के अंदर है मंदिर
महाराजा हमीरदेव ने करवाया मंदिर का निर्माण
तीसरी पौराणिक कहानी अलाउद्दीन खिलजी और महाराज हमीरदेव से जुड़ी है। महाराजा हमीरदेव और अलाउद्दीन खिलजी के बीच सन 1299-1301 को रणथंभौर में युद्ध हुआ था। उस समय अलाउद्दीन खिलजी के सैनिकों ने दुर्ग को चारों ओर से घेर लिया। ऐसे में महाराजा हमीरदेव के सपने में भगवान गणेश ने आकर कहा कि मेरी पूजा करोगे तो सभी समस्याएं दूर हो जाएगी। इसके ठीक अगले ही दिन किले की दीवार पर त्रिनेत्र गणेश की मूर्ति इंगित हो गई और उसके बाद हमीरदेव ने उसी जगह भव्य मंदिर का निर्माण करवाया। कहते हैं कि भगवान के आशीर्वाद से कई सालों से चला आ रहा युद्ध भी समाप्त हो गया।
विश्व का पहला गणेश मंदिर
गणेशजी का यह मंदिर कई मामलों में अनूठा है। देश में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते हैं, जिनमें रणथंभौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम हैं। इसलिए इस मंदिर को भारतवर्ष का ही नहीं विश्व का पहला गणेश मंदिर माना जाता है। इस मंदिर के अलावा सिद्दपुर गणेश मंदिर (गुजरात), अवंतिका गणेश मंदिर (उज्जैन) और सिद्दपुर सिहोर मंदिर (मध्यप्रदेश) में स्थित है


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