कोटा: कोटा गांवों में बाढ़ के कारण किसानों की फसल में खराबे का सर्वे करवाया गया। इसमें प्रभावित 33 प्रतिशत या उससे कुल 1 लाख 63 हजार 355 काश्तगार प्रभावित हुए। जिले के किसानों की नष्ट हुई फसलों का मुआवजा एनडीआरएफ के नॉर्म्स के आधार पर दिया गया। करीब 71 हजार 392 किसानों को 50.74 करोड़ का कृषि अनुदान दिया गया। 91 हजार 663 किसानों द्वारा दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए। जिस कारण इन किसानों का भुगतान लंबित है।
दरअसल कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने कोटा जिले में बाढ़ व आपदा से नष्ट फसलों के मुआवजे और बाढ़ से टूटे हुए मकानों से नुकसान के मुआवजे का मामला सदन में उठाया। विधायक ने कहा कि सरकार गरीब किसानों का शोषण कर रही है। आपदा से हुए नुकसान को किसान आज भी भुगत रहा है। गरीब किसान कर्ज में डूबता जा रहा है। बाढ़ आपदा से जिले में 5000 करोड़ का नुकसान हुआ था। लेकिन अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा खराबे के सर्वे में लापरवाही की गई। कागजों में खानापूर्ति की कमी के कारण कई किसान मुआवजे से वंचित है। विधायक ने मांग की कि किसानों की फसल के नुकसान व टूटे कच्चे-पक्के मकानों का धरातल पर नुकसान का सर्वे करवाया जाए। कागजों के आधार पर इनका मुआवजे से वंचित नहीं रखा जाए। गरीब किसानों की खराब फसल की अनुदान राशि का भुगतान शीघ्र कराया जाए। इस पर मंत्री ने विधायक को आश्वस्त किया कि जल्द ही वंचित किसानों की नष्ट हुई फसलों का उचित मुआवजा दिलाया जाएगा।
नगर भ्रमण पर निकले राजाधिराज महाकाल
रामगंज मंडी के सुकेत कस्बे में सावन के दूसरे सोमवार और हरियाली अमावस्या के अवसर पर राजाधिराज बाबा महाकाल का नगर भ्रमण हुआ। जिसमें शिव भक्तों ने महाकाल की पालकी निकाली। पालकी ने बाबा महाकाल को आकर्षक रूप से सजाया गया। जिसके बाद डमरू और झालर की थाप पर कस्बे के मुख्य रास्तों से पालकी निकली। जिसमें कस्बे वासियों ने पालकी पर पुष्पवर्षा कर महाकाल बाबा की पूजा अर्चना की। नगर भ्रमण के लिए रामगंज मंडी की युवा शक्ति द्वारा महाकाल की पालकी निकाली गई। कस्बे के लक्ष्मीनारायण मंदिर से नगर भ्रमण प्रारंभ हुआ। जिसमें शिव भक्तों ने पालकी को आकर्षक फूलों से सजाकर राजाधिराज को विराजमान किया। युवा शक्ति के सदस्यों ने धोती का ड्रेस कोड के साथ डमरू वादन और झालर की धुन पर यात्रा निकाली। जो कस्बे के चारभुजा मंदिर से होते हुए, जोशी मोहल्ला से बैजनाथ मंदिर से सुरली गली से कुम्हार मोहल्ला होते हुए होली खुट के रूट से वापसी की गई।