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बीकानेर। पिछले दिनों शहर में जो भी चार पहिया वाहन चोरी हुए थे, उनमें से अधिकांश शातिर चोर राकेश कुमार और प्रेमरतन ढकनिया ने चुराए थे। चोरी के वाहन फलोदी में 40 से 50 हजार रुपए में बेचे जाते थे, जिनका उपयोग तस्कर कर रहे हैं। श्रीडूंगरगढ़ के गुसांईसर बड़ा निवासी राकेश कुमार एक शातिर वाहन चोर है जो केवल चार पहिया वाहन चोरी करता है। उसके खिलाफ वाहन चोरी के 40 से अधिक मामले पुलिस स्टेशनों में दर्ज हैं। राकेश ने वाहन चोरी से लेकर उसे छिपाने और बेचने तक का बड़ा नेटवर्क बना रखा है, जिसमें बीकानेर, चूरू, सीकर, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, जोधपुर, फलोदी तक के लोग शामिल हैं। इससे पहले वह पदमपुर में पकड़ा गया था और एक साल तक जेल में रहा था. वह डेढ़ माह पहले ही जमानत पर बाहर आया था और शहर में लगातार चार पहिया वाहन, ज्यादातर बोलेरो चोरी की घटनाओं को अंजाम दे रहा था.
उसे गंगाशहर क्षेत्र से वाहन चोरी के मामले में श्रीडूंगरगढ़ में पकड़ा गया था और पुलिस ने पूछताछ में आठ वारदातें भी कबूली हैं। राकेश ने ये आठ वारदातें गंगाशहर निवासी शातिर चोर प्रेमरतन ढकनिया की मदद से कीं। प्रेमरतन पुलिस द्वारा चिह्नित 20 वर्षीय मास्टर चोर है जो ज्यादातर लोहे की वस्तुएं चुराता रहा है। उसके खिलाफ 60 से अधिक मामले दर्ज हैं और वह पहली बार वाहन चोरी में शामिल हुआ है। पुलिस ने राकेश के साथ प्रेमरतन को भी गिरफ्तार कर लिया है और दोनों रिमांड पर हैं. इन दोनों ने शहर से चुराई गई पांच गाड़ियां फलोदी में शिवरतन बिश्नोई को बेचीं, जिनका उपयोग डोडा-पोस्त व अन्य मादक पदार्थों की तस्करी में किया जा रहा है। गंगाशहर थाने की टीम जोधपुर भेजी गई है.
राकेश व प्रेमरतन ने गंगाशहर से चुराई गई चार पहिया गाड़ी को श्रीडूंगरगढ़ में एक व्यक्ति को बेचने का सौदा किया था। 50 हजार से बात शुरू हुई और सौदा 40 हजार रुपये में तय हुआ। दोनों ने 20 अगस्त की रात को खेतेश्वर बस्ती से नंदू शर्मा की कार चुराई और श्रीडूंगरगढ़ में सरदारशहर सीमा पर डेलवा गांव पहुंच गए. वहां पैसे को लेकर जिससे डील हुई थी उससे अनबन हो गई। उस व्यक्ति ने नंदू को फोन कर कार मालिक को बताया। कार मालिक के परिजन डेलवा गांव पहुंचे और श्रीडूंगरगढ़ थाना पुलिस की मदद से दोनों चोरों को पकड़ लिया. गंगाशहर थाना पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर रिमांड पर लिया है और शुक्रवार को कोर्ट में पेश करेगी. राकेश श्रीडूंगरगढ़ व प्रेमरतन गंगाशहर थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं।
चार पहिया वाहन चोरी करने का मास्टर माइंड राकेश है। वह 7 से 10 दिन के अंतराल में एक कार चोरी करता है। कार चुराने के बाद वह उसे सरदारशहर में पार्क कर देता था और वहां अपने गिरोह के सदस्यों को बेच देता था। खरीदार या तो इसे आगे ऊंचे दाम पर बेच देते थे या फिर गाड़ी के पार्ट्स निकालकर बेच देते थे. पुलिस वाहन को कंडम हालत में बरामद करती थी। अब राकेश ने ट्रेंड बदल दिया है. जोधपुर-फलोदी में चोरी की गाड़ियां बिकने लगी हैं। वह पकड़े जाने पर कई बार जेल जा चुका है और जमानत पर छूटने के बाद कोटगेट थाना क्षेत्र में किराए पर रहता है। उसने पदमपुर में एक घर भी ले रखा है जहां उसकी एक गर्लफ्रेंड है. वाहन चुराने से लेकर उसे छिपाने, बेचने और पार्ट्स बेचने तक एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। इसमें शामिल लोग बीकानेर के अलावा अन्य जिलों से भी चोरी के वाहन खरीद-फरोख्त करते हैं। पुलिस सिर्फ चोरों तक ही सीमित रह गई है। नेटवर्क में शामिल अन्य लोग और चोरी के वाहन खरीदने वाले पकड़े नहीं जाते। कुछ समय तक जेल में रहने के बाद चोर जमानत पर छूट जाते हैं और फिर से अपराध करते हैं। बेखौफ खरीदार चोरी की गाड़ियां खरीदने से नहीं हिचकिचाते।
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