राजस्थान

बांसवाड़ा में 7.5 इंच पानी गिरा, 7 जिलों में आज भारी बरसात का अलर्ट

Ritisha Jaiswal
16 Aug 2022 9:17 AM GMT
बांसवाड़ा में 7.5 इंच पानी गिरा, 7 जिलों में आज भारी बरसात का अलर्ट
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बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम के चलते राजस्थान में मानसून की झमाझम बारिश (Monsoon Rain) का दौर लगातार जारी है.

बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम के चलते राजस्थान में मानसून की झमाझम बारिश (Monsoon Rain) का दौर लगातार जारी है. मौसम विभाग ने मंगलवार को भी कई इलाकों में भारी बारिश के मद्देनजर ऑरेंज अलर्ट जारी (Orange alert issued) किया है. मंगलवार को सुबह 8.30 बजे तक बीते 24 घंटों में बांसवाड़ा के भूंगडा में साढ़े सात इंच बारिश दर्ज की गई है. भूंगड़ा में 180 मिलीमीटर पानी गिरा है. राजस्थान में लगातार हो रही है बारिश से नदी नाले उफान पर है. इससे कई जगह रास्ते बाधित हो रहे हैं.

मौसम विभाग ने मंगलवार के लिये कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए भारी बारिश की चेतावनी दी है. मौसम विभाग के अनुसार आज अजमेर, राजसमन्द, सिरोही, जालोर, जोधपुर, नागौर और पाली में कहीं कहीं भारी से भारी बारिश हो सकती है. जबकि जैसलमेर, चूरू, बीकानेर, बाड़मेर, उदयपुर, टोंक, सीकर, कोटा, झुंझुनूं, जयपुर, दौसा, बूंदी और भीलवाड़ा के लिये येलो अलर्ट जारी किया गया है.
पिछले 24 घंटों में बारिश की स्थिति
मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को सुबह साढे आठ बजे तक बीते 24 घंटों में कई इलाकों में भारी से भारी तो कुछ में भारी बारिश देखने को मिली है. सर्वाधिक बारिश बांसवाड़ा के भूंगडा में 180 एमएम दर्ज की गई है. इसके अलावा झालावाड़ के डग में 17 सेंटीमीटर, माउंट आबू में 12, पीपलखूंट में 10, असनावर में 10, पिड़ावा व जगपुरा में 9-9, मनोहरथाना में 8, कुशलगढ़, घाटोल और झालावाड़ में 7-7, बांसवाड़ा, छोटी सादड़ी, सलूंबर और दानपुर में 6-6 सेंटीमीटर बारिश दर्ज की गई है. इसके अलावा भी दो दर्जन अन्य इलाकों में अच्छी बारिश हुई है.
भारी बारिश से नदियों का जलस्तर बढ़ा
भारी बारिश के कारण झालावाड़ जिले में कालीसिंध, आहू, उजाड़, चंवली, कालीखाड और परवन नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है. कालीसिंध बांध के 8 गेट खोलकर 93332 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है. वहीं भीमसागर बांध के 3 गेट खोलकर 9 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. चंवली और गागरीन बांध पर भी चादर चल रही है. बारिश से ग्रामीण क्षेत्र के कई मार्ग अवरुद्ध हो रखे हैं. वहां वैकल्पिक मार्गों से काम चलाया जा रहा है. कई मार्गों पर पानी का ज्यादा खतरा देखते हुये उन्हें अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है.


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