राजस्थान
महाशिवरात्रि पशु मेले में जैसलमेरी व बीकानेरी नस्ल के 75 ऊंट, 32 भैंस
Shantanu Roy
14 Feb 2023 12:19 PM GMT

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करौली। करौली राजस्थान के प्रमुख महाशिवरात्रि पशु मेले का सोमवार को समापन हो गया। पशु मेले में इस बार पशुओं की बिक्री व आवक पिछले साल से अच्छी रही। साथ ही पशुपालकों के लिए सुविधाओं में भी सुधार देखा गया। इस वर्ष पहली बार मेला मैदान में पशुपालकों को इंदिरा रसोई भोजन उपलब्ध कराने का नवाचार किया गया। करौली का महाशिवरात्रि पशु मेला राजस्थान के प्रमुख पशु मेलों में से एक है। लेकिन वर्ष 2014 से इस पशु मेले में पशुओं की संख्या कम होती जा रही है, हालांकि इस बार स्थिति बदली हुई है. पशु मेले में इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में अधिक पशु आए तथा बिक्री भी अधिक हुई। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. गंगासहाय मीणा के अनुसार इस बार मेले में 553 पशु आए हैं, जिनमें से 170 बिके। जबकि पिछले साल 456 पशु आए थे, जिनमें से 157 ही बिके। पशुपालन विभाग के महाशिवरात्रि पशु मेले में इस बार 75 ऊंटों सहित 170 पशुओं की बिक्री हुई है। इनमें सबसे ज्यादा 75 ऊंट शामिल हैं। पशुपालन विभाग के मुताबिक पशु मेले में 453 ऊंट, 37 भैंस, 61 बकरियां और 2 बैल आए हैं. जिसमें से 75 ऊंट, 32 भैंस, 61 बकरियां और 2 बैल बिके। उन्होंने कहा कि ऊंटों की कीमत 20,000 रुपये से लेकर 48,000 रुपये तक है। जबकि भैंस 61 हजार से 67 हजार रुपये तक बिका।
महाशिवरात्रि पशु मेले में इस बार सबसे ज्यादा ऊंट रहे। मेले में 453 ऊंट आए, जो बीकानेरी और जैसलमेरी नस्ल के थे। पशुपालकों ने बताया कि बीकानेरी नस्ल का ऊंट गाड़ी को अच्छी तरह खींचता है और इसकी वहन क्षमता भी अधिक होती है। इसी प्रकार जैसलमेरी ऊँट दौड़ने में अव्वल है। वहीं शांत स्वभाव का होने के कारण ये वार भी नहीं करता है। महाशिवरात्रि पशु मेले के दौरान 8 वर्षीय ऊंट बादल आकर्षण का केंद्र रहा। भरतून गांव के ऊंट के मालिक सुमन ने कहा कि बादल की कीमत एक लाख रुपये तक हो गई है, लेकिन वह इसे बेचना नहीं चाहता है. उन्होंने बताया कि बादल रोजाना 5 लीटर दूध पीती हैं। इसके अलावा देशी घी, सरसों की सब्जी, मेथी और गुड़ भी खाया जाता है। शांत स्वभाव का होने के कारण यह कभी किसी पर आक्रमण नहीं करता, यह दौड़ने में भी अच्छा होता है। पशु मेले में इस बार पिछले साल की तुलना में पशुओं की अच्छी आवक हुई है। मेला स्थल पर पशुपालकों को सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई। इसके अलावा पहली बार मेला स्थल पर परिवार सहित आए करीब एक हजार पशुपालकों को इंदिरा रसोई के माध्यम से भोजन भी कराया गया।
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Shantanu Roy
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