राजस्थान: जयपुर से लगभग 25 किमी दूर गोनेर कस्बे में प्रसिद्ध जगदीश महाराज मंदिर जिसे लक्ष्मी जगदीश मंदिर या जयपुर का वृंदावन भी कहा जाता है. यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है. यहां दर्शन के लिए जयपुर और राजस्थान के अलावा पूरे भारत से लोग आते हैं. यहां के बुजुर्ग लोग मंदिर के बारे में बताते हैं कि भगवान लक्ष्मीनारायण की यह मूर्ति एक ब्राह्मण द्वारा खेत से खोद कर निकाली गई थी और बाद में इस मूर्ति को एक छोटे से मंदिर में अनुष्ठान के साथ स्थापित किया गया. जिसे बाद में जयपुर राजपरिवार और अन्य भक्तों की मदद से मंदिर बनाया गया. जो अब विशाल मंदिर के रूप में दिखाई देता है. आज भी उसी ब्राह्मण के वंशज मंदिर में पूजा और देखभाल का कार्य कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं.
लगता है दूध और राजभोग का भोग
मंदिर की खास बात यह है कि रात को साढ़े तीन किलो का राजभोग और दूध का भोग लगाया जाता है. ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को महाराज जगदीश की जयंती मनाई जाती है. यह मंदिर का प्रमुख त्योहारों भी है. एकादशी यहां बड़े मेला भी लगता है. जिसमे बड़ी संख्या में लोग आते हैं. भगवान जगदीश महाराज को मालपुआ का भोग लगाया जाता हैं. इसलिए यहां आयोजित होने वाले सवामनी और अन्य प्रसादी कार्यक्रमों में मालपुआ विशेष रूप से बनाया जाता है.
भक्तों की मनोकामना होती हैं पूरी
जगदीश महाराज मंदिर के बारे में यहां के स्थानीय लोग और मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहां आने वाले भक्तों की सच्चे मन से की गई प्रार्थना उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. यहां पर लोगों का मानना हैं की यदि किसी पर कोई विपत्ति या बड़ा संकट आता हैं तो वह जगदीश महाराज की सवामणी बोलते हैं और जब वह संकट खत्म हो जाता है तो गोनेर आकर जगदीश महाराज के सवामणी का आयोजन करते हैं. मंदिर में दर्शन करने का समय अभी मंदिर में दर्शन प्रातः 7:30 से शुरू हो जाते हैं. मंदिर में भोग 12:30 बजे लगता है. रात को 9 बजे मंदिर के पट बंद हो जाते हैं.