राजस्थान

कॉलेजों में 30 से 40 प्रतिशत कोर्स अधूरा, दो माह भी नहीं लगी क्लासें

Admin Delhi 1
16 March 2023 2:46 PM GMT
कॉलेजों में 30 से 40 प्रतिशत कोर्स अधूरा, दो माह भी नहीं लगी क्लासें
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कोटा: कोटा यूनिवर्सिटी डिग्री ही नहीं मानसिक तनाव भी बांट रही है। अपनी जिद पूरी करने के लिए सैंकड़ों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा दिया। शैक्षणिक सत्र लेट होने के बावजूद विवि ने आर्ट्स और कॉमर्स संकाय में सेमेस्टर लागू कर दिया है। इसी के साथ न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत राज्य में सर्वप्रथम सेमेस्टर प्रणाली लागू कर कोटा विश्वविद्यालय ने राज्यपाल की जमकर वाहवाही लूटी। लेकिन इसकी कीमत विद्यार्थियों को तनाव झेलकर चुकानी पड़ रही है। दरअसल, कोटा विवि से सम्बद्ध सभी राजकीय कॉलेजों की पीजी प्रिवियस की परीक्षाएं 27 मार्च से शुरू हो रही हैं। लेकिन, अभी तक विद्यार्थियों के फर्स्ट सेमेस्टर का कोर्स भी पूरा नहीं हुआ है। इसके बावजूद विवि 6 माह की सेमेस्टर परीक्षा ढाई माह में करवा रही है। ऐसे में विद्यार्थियों को तैयारी का समय नहीं मिलने से तनाव झेल रहे हैं।

मानसिक तनाव बांट रही कोटा यूनिवर्सिटी

शैक्षणिक सत्र 2022-23 शुरू से ही निर्धारित समय से देरी से चल रहा है। महाविद्यालयों में पिजी प्रिवियस के एडमिशन नवम्बर माह से शुरू हुए थे, जो जनवरी तक जारी रहे। क्योंकि, दिसम्बर माह सरकारी छुट्टियों व प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन में ही गुजर गया। वहीं, आयुक्तालय ने 19 जनवरी को वेटिंग में रहने वाले विद्यार्थियों के लिए फिर से एडमिशन पोर्टल शुरू कर दिया। ऐसे में 27 जनवरी तक तो एडमिशन प्रक्रिया ही जारी रही। हालांकि, कक्षाओं का संचालन 15 जनवरी के मध्य शुरू हो गया था लेकिन, नियमित क्लासें फरवरी से ही संचालित हो सकी। ऐसे में विद्यार्थियों की कक्षाएं करीब डेढ़ माह ही चलने के कारण सिलेबस भी पूरा नहीं हो सका।

अधूरी तैयारियों ने बढ़ाया तनाव

कोटा यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी का खामियाजा सबसे ज्यादा पीजी प्रिवियस के विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। एडमिशन प्रक्रिया से निपटने के एक माह बाद ही विश्वविद्यालय द्वारा पहले सेमेस्टर की परीक्षा का शेड्यूल जारी कर दिया। 27 मार्च से परीक्षाएं शुरू होनी है, लेकिन कॉलेजों में आर्ट्स, कॉमर्स व साइंस का कोर्स करीब 25 से 35 प्रतिशत अधूरा है। वहीं, इस बार 100 प्रतिशत सिलेबस पर ही एग्जाम लिए जाएंगे। ऐसे में अधूरी तैयारियों के बीच परीक्षा की टेंशन विद्यार्थियों को अवसाद में डाल रही है। इधर, उच्च शिक्षा आयुक्तालय ने विद्या संबल शिक्षकों को हटाकर विद्यार्थियों की मुसीबत और बढ़ा दी है, जो कक्षाएं लग रहीं थी अब वो भी नहीं लग पा रही।

विद्यार्थियों ने बयां की पीढ़ा

विद्यार्थियों को तनाव में झोंक रही यूनिवर्सिटी

कॉलेजों में पीजी प्रिवियस में सेमेस्टर प्रणाली लागू कर राज्य में पहली यूनिवर्सिटी बनने के लिए कोटा विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों को तनाव की आग में झोंक दिया है। जनवरी में एडमिशन प्रक्रिया से निपटे तो 17 फरवरी से वाइवा शुरू हो गए,जो 10 दिन तक जारी रहे। इस बीच रीट, सीयूईटी परीक्षा व त्योहारों की छुट्टियों के चलते कॉलेजों में शैक्षणिक कार्य ठप रहा। ऐसे में 40 से 50 दिन ही क्लासें संचालित हो सकी। पहले सेमेस्टर में 5 यूनिट आती है, जिसमें से अभी तक 2 यूनिट भी पूरी नहीं हो सकी। जबकि, 27 मार्च से पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं हैं। पढ़ाई का समय नहीं मिल रहा। परीक्षा की तैयारी कैसे करें, कुछ समझ नहीं आ रहा। रिजल्ट बिगड़ने की शंका से विद्यार्थी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।

- मनीष सामरिया, छात्रसंघ अध्यक्ष गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज

परीक्षा से एक दिन पहले सेट, किसकी करें तैयारी

कोटा यूनिवर्सिटी ने अपनी जिद पूरी करने के लिए हजारों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लगा दिया। यूजीसी नियमानुसार सेमेस्टर की परीक्षा से पहले 180 दिन क्लास होना जरूरी है, ताकि सिलेबस पूरा हो सके। लेकिन, विवि 6 माह की परीक्षा ढाई माह में ही करवाने पर तुली है। इन दिनों विद्यार्थी दोहरी मुसीबत से झूल रहे हैं। एक तरफ एमएससी प्रिवियस के फर्स्ट सेम की परीक्षा 27 मार्च को है तो दूसरी तरफ इससे एक दिन पहले यानी 26 मार्च को सेट (स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट) की परीक्षा होने वाली है। यह पेपर 10 साल बाद होने जा रहा है। ऐसे में छात्र असमंजस में है कि वो किस परीक्षा की तैयारी करे। इस बार सेट से चूक गए तो पता नहीं प्रोफेसर बनने के लिए यह परीक्षा फिर से कब होगी। यूनिवर्सिटी की लापरवाही के कारण विद्यार्थी तनाव से जूझ रहे हैं।

- आशिष मीणा, छात्रसंघ अध्यक्ष गवर्नमेंट साइंस कॉलेज कोटा

कोर्स अधूरा, परीक्षा 100 प्रतिशत सेलेबस पर

परीक्षाएं सिर पर हैं लेकिन विद्यार्थियों को तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिला। नवम्बर से जनवरी तक का समय पीजी प्रिवियस एडमिशन में ही गुजर गया। फरवरी में ही क्लासें लगी हैं। जबकि, सेमेस्टर की तैयारी के लिए कम से कम 4 माह का समय मिलना चाहिए था। इस वर्ष परीक्षाएं 100 प्रतिशत सिलेबस पर हो रही है। एग्जाम की तैयारी कैसे करें, छात्राएं समझ नहीं पा रही। कोराना काल में सिलेबस घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया था लेकिन इस बार समय का अभाव होने पर भी यूनिवर्सिटी ने कोर्स में कटौती नहीं की। इधर, मेघना ने बताया कि एमएसएसी प्रिवियस का कोर्स 25 से 30 प्रतिशत ही कोर्स पूरा हो सका है। यानी, 5 में से 2 यूनिट ही पूरी हुई है। अभी भी 3 यूनिट का सिलेबस अधूरा है।

- अंजली मीणा, छात्रसंघ अध्यक्ष जेडीबी साइंस कॉलेज

विज्ञान में सेमेस्टर सिस्टम पहले से ही लागू है लेकिन, आर्ट्स व कॉमर्स पिजी प्रिवियस में पहली बार सेमेस्टर लागू किया गया है। कोराना से प्रभावित शिक्षा सत्र के नियमित होने के पश्चात सेमेस्टर सिस्टम लागू होता तो विद्यार्थियों के लिए बेहतर होता।

- डॉ. संजय भार्गव, प्राचार्य जेडीबी साइंस कॉलेज

एग्जाम की तैयारियों के लिए विद्यार्थियों को पूरा समय मिला है। परीक्षाएं नियमानुसार आयोजित किए जा रहे है। परीक्षा समय को लेकर कोई गलत नहीं हो रहा है।

-प्रवीण भार्गव, परीक्षा नियंत्रक, कोटा विश्वविद्यालय

सेमेस्टर की फीस ले रहे तो कोर्स भी पूरा करवाओ

कोटा विश्वविद्यालय के अव्यवहारिक निर्णय के कारण छात्राएं कोर्स पूरा नहीं होने से परेशान हैं। यूनिवर्सिटी सेमेस्टर एग्जाम फीस ले रही है तो कोर्स पूरा करवाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। जेडीबी कॉमर्स कॉलेज में एमकॉम प्रिवियस की15 जनवरी के बाद से ही नियमित कक्षाएं संचालित हुई है। इकोनोमी व बिजनेस मैनेजमेंट का कोर्स अधूरा है। विद्या संबल पर लगे शिक्षक नियमित कक्षाएं ले रहे थे, जिन्हें हटा दिए जाने से क्लासें ठप हो गई। कॉलेज में कुल 6 नियमित फैकल्टी है, जिनमें से 3 शिक्षक अकाउंट के हैं। ऐसे में बिजनेस मैनेजमेंट की क्लासें नहीं लग पाती। कोटा विश्वविद्यालय को सेमेस्टर सिस्टम नए सत्र से शुरू किया जाना चाहिए। फर्स्ट सेमेस्टर की परीक्षाएं समाप्त होने के अगले दिन बाद से ही क्लासें शुरू हो जाएंगी। लेकिन, शिक्षक ही नहीं है तो पढ़ाएगा कौन।

- दीप्ती मेवाड़ा, छात्रसंघ अध्यक्ष जेडीबी कॉमर्स कॉलेज

विद्यार्थियों को प्रताड़ित कर रही यूनिवर्सिटी

राजकीय कॉमर्स कॉलेज में एमकॉम प्रिवियस के विभिन्न संकायों में वर्तमान में 35 प्रतिशत कोर्स बाकी है। परीक्षा को लेकर विद्यार्थियों में असमंजस्य की स्थिति बनी हुई है। नियमित कक्षाएं लगी नहीं, तैयारी कैसे करें। अधिकतर समय एडमिशन, छुट्टियां व वाइवा में गुजर गया। पढ़ने का तो समय ही नहीं मिल पा रहा। विश्वविद्यालय की गलत नितियों के कारण स्टूडेंट्स ही नहीं शिक्षक भी परेशान हैं। नियमित फैकल्टी गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझी होने के कारण क्लासें नहीं ले पाती। ऐसे में कोर्स पूरा करवाने की जिम्मेदारी विद्या संबल शिक्षक निभा रहे थे, जिन्हें भी कार्यमुक्त कर दिए जाने से कक्षाएं नहीं लग पा रही। प्राचार्य से लेकर एग्जाम कंट्रोलर को ज्ञापन देकर जमीनी हकीकत से रुबरू करवाया था। इसके बावजूद सुनवाई नहीं हुई। स्टूडेंट्स अनावश्यक तनाव महसूस कर रहे हैं।

-अर्पित जैन, छात्रसंघ अध्यक्ष, गवर्नमेंट कॉमर्स

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