राजस्थान

सीओपीडी के मामलों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी, प्रदूषण के कारण बड़ा खतरा

Admin Delhi 1
20 Nov 2022 11:47 AM GMT
सीओपीडी के मामलों में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी, प्रदूषण के कारण बड़ा खतरा
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जयपुर न्यूज़: धूम्रपान और प्रदूषण के कारण क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनोरी डिसीज यानी सीओपीडी के मरीज तेजी से बढ़े है। पिछले 5 साल में सीओपीडी के मामलों में 30 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टर्स का कहना है कि प्रदूषित वातावरण के एक्सपोजर से सांस नली सिकुड़ने लगती है। इससे लंग्स एवं हार्ट में दबाव पड़ता है। समय पर इलाज ही इसका उपाय है। यदि ऐसा नहीं होता है, मरीज को खतरा हो सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में सीओपीडी अधिक होता है। गांव में चूल्हे का धुआं, महिलाओं में तेजी से बढ़ रही स्मोकिंग की लत या खराब जीवनशैली इसकी प्रमुख वजह है।

सिकुड़ जाती है फेफड़े की नलियां: श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. शुभ्रांशु और डॉ. देवेश कानूनगो ने सीओपीडी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि सीओपीडी के कारण फेफड़े के अंदर की नलियां सिकुड़ जाती है, जिसकी वजह से हवा ठीक तरह से फेफड़ों से बाहर नहीं निकल पाती। पेशेंट इस रोग से कितने प्रभावित हैं। इसका पता स्पायरोमीटरी मशीन से लगाया जा सकता है। सीओपीडी माइल्ड, मॉडरेट एवं सीवियर होती है। मरीज ने यदि सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं लिया, तो मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। ट्रीटमेंट के साथ पौष्टिक आहार लें। धुएं और गंध से बचें। अपने आवास और वातावरण की साफ सफाई रखे। इन्हेलेशन मेडिसिन ही इसका उचित इलाज है। इसका उपयोग डॉक्टर द्वारा बताई गई मात्रा के अनुसार करे।

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