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कोटा। कोटा शहर में तेजी से युवाओं में कैंसर रोग फैल रहा है। इसका मुख्य कारण युवाओं में बढ़ती तंबाकू, गुटका की लत है। युवा तनाव में सिगरेट, गुटका तंबाकू सेवन कर अपने को कैंसर की ओर धकेला रहे हैं। इसकी भयवता इस बात से ही पता चलती है कि कोटा में हर साल 2500 से अधिक कैंसर के नए मरीज आ रहे है। हर माह लगभग 285 मरीज नए आ रहे है। खासतौर से 25 से 50 वर्ग की आयुवर्ग के लोगों कैंसर तेजी से चपेट में ले रहा है। लोगों में तंबाकू पर्दार्थो के सेवन की रोकथाम के लिए जिलेभर में 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाएगा। इसको लेकर एबीएस अस्पताल के कैंसर विभाग में रूप रेखा तैयार की जा रही है। सभी जिला अस्पतालों में चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस पर जन जागृति के कार्यक्रम होंगे। इस वर्ष की थीम है क्लॉज द केयर गेप (कैंसर में सुधार के लिए- सबका साथ, सबका स्वास्थ्य) है। जिला एनसीडी सलाहकार प्रियंका जांगिड़ ने बताया कि कैंसर रोग विश्व में असामयिक मौतों के मुख्य कारणों में से एक है जिसका बचाव संभव है।
एमीएस अस्पताल के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के तंवर ने बताया कि 2022 में ओपीडी में 19 हजार 340 मरीज आए है। वहीं भर्ती मरीजों की संख्या 3 हजार 382 थी। पिछले साल 975 लोगों को विकरण थैरेपी दी गई। वहीं 2 हजार 700 लोगों किमो थैरपी दी गई। अस्पताल में कैंसर सर्जन डॉ. अखलाख हुसैन के आने से अब यहां कैंसर के जटिल ऑपरेशन भी होने लगे है। कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. हर्ष गोयल ने बताया कि दुनिया की सबसे जानलेवा बीमारियों में से एक कैंसर है । आने वाले 20 वर्ष में भारत में कैंसर के रोगी लगभग दुगने हो जाएंगे।भारत मे नए पुराने केस मिलाकर करीब 25 लाख रोगी कैंसर बीमारी से पीड़ित है। कैंसर का सामान्य लक्षण वजन में कमी, बुखार, भूख में कमी, हड्डियों में दर्द, खांसी या मुंह से खून आना प्रमुख है। इससे बचने के लिए धूम्रपान छोड़ें, अपने आसपास धूम्रपान करने वालों से दूरी रखें। खान-पान में सब्जी और फल की मात्रा ज्यादा लें, शारीरिक व्यायाम नियमित जारी रखें।
कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. आर के तंवर बताया कि एमबीएस अस्पताल में नाक, कान गला के साथ फैंफड़ो में कैंसर के मरीज ज्यादा आ रहे है। कैंसर से पीड़ित मरीजों में कोरोना वायरस की आशंका ज्यादा होती है, क्योंकि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। फेफड़े का कैंसर पुरुषों में ज्यादा होता है, इसका प्रमुख कारण धूम्रपान, तंबाकू गुटखा खाना। तंबाकू से निकलने वाले केमिकल फेफड़े की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाते हैं। धूम्रपान फेफड़े के कैंसर को 30 गुना ज्यादा बढ़ा देता है। एक सिगरेट से 40 से ज्यादा कैमिकल निकलते हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा जैसे कि आॅटोमोबाइल इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री, टैक्सटाइल इंडस्ट्री जैसी जगहों पर काम करने वाले लोगों में एसबेस्टोज केमिकल और कोयला जलने से उठे धुएं से, फेफड़ों में इंफेक्शन से, परिवार में फेफड़े के कैंसर की हिस्ट्री होने से फेंफड़े का कैंसर बन सकता है। एमबीएस अस्पतालमें प्रतिदिन 90 से 100 लोगों को रेडिएशन थैरेपी दी जा रही है। वहीं 20 से 25 लोगों को कीमोथैरेपी दी जाती है। ओपीडी में प्रतिदिन 20 से 25 मरीज मुंह, गला, फेंफड़ा, स्तन कैंसर के मरीज इलाज के लिए आते है। शहर में 35 से 40 बीच के युवाओं में मुंह नहीं खुलने की शिकायत लेकर आ रहे हैं। जिला अस्पताल में 30 मरीजों के लिए वार्ड बना हुआ है जो हमेशा ही फुल रहता है।
अस्पताल में प्रतिदिन कैंसर के बड़ी संख्या में मरीज आना चिंता का विषय है। विश्व कैंसर दिवस पर क्लॉज द केयर गेप थीम पर कार्यक्रम होंगे। युवाओं को मादक पर्दाथों के सेवन से रोकने के लिए जन जागृति जरूरी है।
-डॉ. आर के तंवर, विभागाध्यक्ष कैंसर रोग विभाग एमबीएस अस्पताल कोटा
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Shantanu Roy
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