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अलवर। पति-पत्नी में 14 वर्षों से चल रहा मतभेद परिवारिक न्यायालय ने खत्म करवा दिया और पति पत्नी को खुश करके घर भेज दिया। बता दे कि तरूण बनाम पल्लवी में पल्लवी गुप्ता आरएएस अलाईड सर्विसेज, ओडिटर कॉपरेटिव डिपार्टमेंट, अलवर में पद स्थापित को तरूण कुमार गुप्ता पुत्र प्रधुम्मन निवासी हैदराबाद के साथ समस्त मतभेद को भूलाकर एकसाथ घर भेजा गया। पति पत्नी के बीच दोनों में हुए समझौते से अब दोनों खुश हैं।
उन्होंने यह निर्णय अपनी बेटी के कारण लिया। अब दोनों में कोई वैचारिक मतभेद नहीं हैं। 14 साल तक चले इस मामले में मात्र एक इगो हर्ट कर रहा था।प्रकरण के निस्तारण एवं समझाईश में पीठासीन अधिकारी न्यायधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या दो राजेश चन्द्र गुप्ता एवं अधिवक्ता हिमांशु बगरहट्टा एवं राजीव भार्गव का पूर्ण सहयोग रहा। पल्लवी बनाम तरूण के मामले में प्रार्थी पल्लवी का विवाह 6 जुलाई 2008 को हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार तरुण के साथ सम्पन्न हुआ।
पारिवारिक न्यायालय में समझौता होने के बाद खुशी जाहिर करते हुए पल्लवी ने बताया कि 16 साल से वह जॉब में हैं। वर्तमान में ऑडिटर के पद पर कार्यरत हैं। शादी के बाद दोनों पति-पत्नी में दूरियां बढ़ गई थी और वैचारिक मतभेद सामने सामने आने लगे। उसके बाद मेंटेनेंस के लिए कोर्ट में केस दाखिल किया। जिसके काउंटर में पति ने तलाक का केस डाल दिया। हम दोनों ही नहीं मेंटेनेंस का केस डालना चाह रहे थे और ना ही वह तलाक का लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गई। उन्होंने कहा कि वे बेटी के भविष्य को देखते हुए दोनों परिवारों ने यह निर्णय लिया है। इगो को दरकिनार किया गया। कोर्ट में जज और दोनों वकीलों का पूरा सहयोग रहा और अब मैं पति के साथ समझौता होने के बाद कंपलीट फील कर रही हूं।
तरुण गुप्ता ने बताया कि वैचारिक मतभेद के चलते ऐसा हुआ। अब फैमिली कोर्ट नंबर दो ने समझौता कराया और काफी अच्छा फील किया जा रहा है। इस निर्णय से वह खुश हैं। उन्होंने कहा कि बिना परिवार के जीवन में कुछ नहीं होता। इधर एडवोकेट हिमांशु बगर हट्टा ने बताया कि पल्लवी गुप्ता का 14 साल पुराना केस है। उसके बाद 2019 में तरुण ने डिवोर्स फाइल किया और हम दोनों पक्षों के वकीलों ने यह पाया कि मात्र एक वैचारिक मतभेद के चलते हुए यह परिवार टूट सकता है। हम दोनों वकीलों ने दोनों पक्षों को बुलाकर बातें की समझाइश की और 2 साल के लंबे प्रयास के बाद इनका आपसी मनमुटाव दूर हुआ और आज एक परिवार टूटने से बच गया।
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