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अलवर। अलवर साइबर ठगी कर बैक ATM के जरिए रकम निकालने वाले दो बदमाशों को पुलिस ने पकड़ा है। जिनके पास 102 एटीएम मिले और 1 लाख 75 हजार रुपए की नकदी मिली है। ये बदमाश रुपए निकालने का 20 पर्सेंट कमिशन लेते थे। भरतपुर व गोविंदगढ़ से आकर अलवर में रहने लग गए थे। इनका काम यही था कि ठगी करने वाली गैंग का मैसेज मिलते ही ये बैंक एटीएम से कैश निकालने जाते थे। पुलिस ने अलवर में काला कुआं में एटीएम के पास से इनको दबोचा है। अब जांच में पता चलेगा कि अब तक कितनी रकम निकाल चुके हैं।
अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस अपराध दिनेश एमएन के दिशा निर्देशन में यह कार्यवाही हुई है। जिसमेंआरोपी रणजीत यादव पुत्र मुखराम (30) निवासी रामबास थाना गोविंदगढ़ जिला अलवर और महेंद्र यादव पुत्र किशनलाल (35) निवासी अखेगढ़ थाना नदबई जिला भरतपुर हाल कटीघाटी थाना अरावली विहार अलवर को गिरफ्तार किया है। एएसपी आशाराम चौधरी के सुपरविजन में पुलिस निरीक्षक राम सिंह नाथावत, हेड कांस्टेबल कमल सिंह व शंकर दयाल शर्मा व टीम की ओर से 7 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद अरावली विहार थाना पुलिस की मदद से इनको पकड़ा जा सका। पुलिस ने काला कुआं में देवयानी हॉस्पिटल के पास स्थित एसबीआई बैंक के एटीएम के पास खड़े सन्दिग्ध युवक रणजीत यादव और महेंद्र यादव को घेरकर डिटेन किया। रणजीत की तलाशी में 55 एटीएम कार्ड, एक बैंक की चेक बुक व पासबुक तथा 1 लाख 5 हजार रुपए नगद एवं महेंद्र की तलाशी में 47 एटीएम कार्ड, 70 हजार नगद और एक मोबाइल मिला। खास बात यह भी है कि इनके कब्जे से सबसे अधिक 60 एटीएम HDFC बैंक के हैं। बाकी अन्य बकों के एटीएम हैं।
आरोपियों के अनुसार एटीएम कार्ड मोहम्मद जुबेर निवासी रसूलपुर थाना कामां और मोहम्मद तालिब निवासी खेड़ा महमूद थाना गोविंदगढ़ ने लाकर दिए थे। साइबर ठग अरबाज निवासी बल्लाका थाना नगर, आरिफ निवासी बरलाकी थाना नगर, शहजाद, सद्दाम व वहीद निवासी गोलकी थाना सीकरी तथा फरीद उर्फ फरु निवासी नयामतपुर थाना नगर जिला भरतपुर के कॉल करने पर वे विभिन्न एटीएम मशीनों से रकम निकलवा कर कमीशन काट उन्हें देते है। इस कार्रवाई में हेड कांस्टेबल कमल सिंह व शंकर दयाल शर्मा की विशेष भूमिका रही। टीम में कांस्टेबल देवेंद्र व कांस्टेबल चालक विश्राम भी शामिल थे। अब आगे जांच में बड़ा खुलासा हो सकता है। अभी तक पुलिस यह नहीं बता सकी कि ये बदमाश कितना रुपया निकाल कर आगे भिजवा चुके हैं। इनके गिरोह के ठगों को पकड़ा जा सकेगा। पुलिस आगे-आगे और बड़े खुलासे कर सकती है। ये अधिकतर बैंक खाते फर्जी हो सकते हैं। कुछ को लालच देकर इस्तेमाल करते हैं। यह सब जांच में सामने आ सकेगा।
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