राजस्थान

डी-लिस्टिंग महारैलीः उदयपुर में 18 जून को हुंकार भरेगा जनजाति समाज

Ashwandewangan
7 Jun 2023 5:48 PM GMT
डी-लिस्टिंग महारैलीः उदयपुर में 18 जून को हुंकार भरेगा जनजाति समाज
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उदयपुर। हल्दीघाटी युद्ध दिवस 18 जून को उदयपुर शहर में जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के तत्वावधान में डी-लिस्टिंग हुंकार महारैली होने जा रही है। इसमें सम्पूर्ण राजस्थान का जनजाति समाज पहुंचेगा और एक स्वर में धर्म परिवर्तन कर लेने वाले जनजाति परिवारों को संविधान प्रदत्त विशेष प्रावधानों से हटाने की मांग करेगा।

जनजाति सुरक्षा मंच के संरक्षक व सामाजिक कार्यकर्ता भगवान सहाय ने मीडिया को बताया कि डी-लिस्टिंग महारैली जनजाति समाज के हक और उनकी संस्कृति को बचाने के लिए की जा रही है। इसके माध्यम से यह मांग उठाई जाएगी कि जनजाति समाज के जिस व्यक्ति ने अपना धर्म बदल लिया है। उनका एसटी स्टेटस हटाया जाए और एसटी के नाते संविधान प्रदत्त सुविधाएं नहीं दी जाएं।

जब अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग के लिए संविधान में यह नियम लागू है तो अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए भी यह प्रावधान संविधान में जोड़ा जाना चाहिए। धर्म बदलने वाले अपनी चतुराई से दोहरा लाभ उठा रहे हैं। जबकि मूल आदिवासी अपनी ही मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझ रहा है।

इस संबंध में सन 1968 में डॉ. कार्तिक उरांव (जनजाति नेता/पूर्व सांसद) ने इस संवैधानिक/कानूनी विसंगति को दूर करने के प्रयास किए थे। जनजाति नेता डॉ. कार्तिक उरांव ने सन् 1968 में किए अध्ययन में पाया कि 5 प्रतिशत धर्मांतरित ईसाई, अखिल भारतीय स्तर पर कुल एसटी की लगभग 70 प्रतिशत नौकरियां, छात्रवृत्तियां एवं शासकीय अनुदान ले रहे थे। साथ ही प्रति व्यक्ति अनुदान आवंटन का अंतर उल्लेखनीय रूप से गैर-अनुपातिक था।

इस प्रकार की मूलभूत विसंगति को दूर करने के लिए संसद की संयुक्त संसदीय समिति का गठन हुआ। जिसने अनुशंसा की कि अनुच्छेद 342 से धर्मांतरित लोगों को एसटी की सूची से बाहर करने के लिए राष्ट्रपति के सन् 1950 वाले आदेश में संशोधन किया जाना है। इस मसौदे पर तत्कालीन 348 सांसदों का समर्थन भी प्राप्त हुआ था। परंतु, सन 1970 के दशक इस विचाराधीन मसौदे पर कानून बनने से पूर्व ही लोकसभा भंग हो गई थी। धर्मांतरित ईसाई एवं मुसलमान अनुसूचित जनजातियों की अधिकांश सुविधाओं को हड़प रहे हैं। सहाय ने कहा कि गांव-गांव में धर्मान्तरण के कारण पारिवारिक समस्याएं भी आ रही हैं। कहीं-कहीं बहन भाई के बीच राखी का त्योहार खत्म हो गया है।

जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के प्रदेश संयोजक लालूराम कटारा ने यहां वनवासी कल्याण आश्रम में पत्रकार वार्ता में बताया कि डी-लिस्टिंग हुंकार रैली को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इसमें पूरे राजस्थान से जनजाति समाज के लोग अपनी पारम्परिक वेशभूष एवं वाद्ययंत्रों के साथ एकत्र होंगे।

महारैली को लेकर राजस्थान के हाड़ौती, मेवाड़, वागड़, कांठल, भोमट और मारवाड़ क्षेत्र में जागरण-सम्पर्क का दौर जारी है। उदयपुर शहर में भी जनजाति बंधु-बांधवों के आगमन पर उनके भव्य स्वागत की तैयारियां की जा रही हैं। उदयपुर संत समाज और मातृशक्ति ने भी जनजाति बंधु-बांधवों की इस आवाज को बुलंद करने के लिए इस रैली में हरसंभव सहयोग का ऐलान किया है।

जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान की सदस्य भावना मीणा ने बताया कि उदयपुर में महारैली में आने वाले जनजाति बंधु-बांधवों के भोजन की व्यवस्था उदयपुर शहर के घर-घर से की जाएगी। माताओं-बहनों से जनजाति बंधुओं के लिए भोजन पैकेट तैयार करने का आग्रह किया जाएगा। महारैली के दिन जनजाति सुरक्षा मंच सहित विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता घर-घर से भोजन पैकेट एकत्र कर निर्धारित स्थलों पर पहुंचाएंगे। जहां से उनका वितरण जनजाति बंधुओं को किया जाएगा। उदयपुर शहर इस माध्यम से सामाजिक समरसता का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करेगा।

हुंकार महारैली संयोजक नारायण लाल गमेती ने बताया कि पूरे राजस्थान से जनजाति समाज के बंधु 18 जून को सुबह से पहुंचना शुरू होंगे। शहर की विभिन्न दिशाओं में उनके वाहन रखने की व्यवस्था की जाएगी। वे अलग-अलग दिशाओं से रैलियों के रूप में गांधी ग्राउण्ड पहुंचेंगे। शाम 4 बजे से गांधी ग्राउण्ड में जनजाति संस्कृति के विविध रंगों को दर्शाती प्रस्तुतियों का दौर रहेगा। इसके बाद विशाल सभा होगी। सभा के बाद सभी मेहमानों को भोजन पैकेट के साथ विदा किया जाएगा।

जनजाति बंधुओं के स्वागत में सजेगा शहर, जनजाति संस्कृति से दमकेंगे चौराहेः

डी-लिस्टिंग महारैली में विभिन्न दिशाओं से प्रवेश करने वाले जनजाति बंधु शहर के पांच स्थलों पर एकत्र होंगे। वहीं से वे ढोल-मंजीरे, थाली-मांदल आदि पारम्परिक वाद्यों को बजाते नाचते-गाते रैली के रूप में सभास्थल की ओर बढ़ेंगे। रैलियां एमबी ग्राउंड, आरसीए, महाकाल मंदिर, फील्ड क्लब और नगर निगम से शुरू होंगी। रैलियों का आरंभ संतों की अगुवाई में श्रीफल शगुन वंदन से होगा। इन स्थानों से रैलियां विभिन्न मार्गों से होते हुए सभास्थल महाराणा भूपाल स्टेडियम पहुंचेंगी।

रैली के मार्गों को भी पताकाओं से सजाया जाएगा और शहर के विभिन्न संगठनों की ओर से शीतल पेय व अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी। विभिन्न स्थानों पर पुष्पवर्षा से भी स्वागत किया जाएगा। सभास्थल पर सभा के मुख्य मंच के अतिरिक्त एक और मंच बनाया जाएगा जहां जनजाति बंधु अपनी पारम्परिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे।

उदयपुर शहर के चौराहों पर भी सजावट की तैयारी की जा रही है। सजने वाले चौराहों में मुख्य रूप से सूरजपोल, देहलीगेट, हाथीपोल, चेतक सर्कल, ईंटभट्टा, राणा पूंजा सर्कल, गवरी सर्कल, सुभाष चौराहा, महाकाल, चेतक सर्कल, फतहपुरा, बोहरा गणेश जी, राड़ाजी चौराहा, कोर्ट चौराहा, पंचवटी, सीए सर्कल आदि शामिल हैं।

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प्रकाश सिंह पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में हैं। साल 2019 में उन्होंने मीडिया जगत में कदम रखा। फिलहाल, प्रकाश जनता से रिश्ता वेब साइट में बतौर content writer काम कर रहे हैं। उन्होंने श्री राम स्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी लखनऊ से हिंदी पत्रकारिता में मास्टर्स किया है। प्रकाश खेल के अलावा राजनीति और मनोरंजन की खबर लिखते हैं।

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