राजस्थान

एक ऐसा परिवार जो चीतों को पालतू जानवर की तरह पालते थे

Rani Sahu
18 Sep 2022 11:15 AM GMT
एक ऐसा परिवार जो चीतों को पालतू जानवर की तरह पालते थे
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राजस्थान: पूरे देश में इन दिनों चीते की चर्चाएं जोरों पर हैं। सभी न्यूज़ चैनलों व अखबारों में चीते सुर्खियां बने हुए है,लेकिन बात करें भरतपुर की तो यहां एक ऐसा परिवार भी है जो आजादी से पहले चीतों को पालतू जानवर की तरह गले में पट्टा बांध के पाला करता था
रिपोर्ट- कपिल चीमा
भरतपुर, राजस्थान: पूरे देश में इन दिनों चीते की चर्चाएं जोरों पर हैं। सभी न्यूज़ चैनलों व अखबारों में चीते सुर्खियां बने हुए है,लेकिन बात करें भरतपुर की तो यहां एक ऐसा परिवार भी है जो आजादी से पहले चीतों को पालतू जानवर की तरह गले में पट्टा बांध के पाला करता था। गत दिवस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया है और तब से ही देश भर में चीते चर्चा का विषय बने हुए हैं। भरतपुर शहर के मुख्य बाजार में गंगा मंदिर के पास जहां चीते पालने वाला परिवार रहता हैं और उस गली का नाम भी सरकारी रिकॉर्ड में चीते वाली गली के नाम से दर्ज है।
भरतपुर में आजादी से पहले इस परिवार में चीतों को पालतू जानवरों की तरह पाला जाता था और ये भी जानकारी सामने आई है कि वर्ष 1936 से लेकर 1945 तक भरतपुर राजघराने के निवास मोती महल के गेट पर भी हमेशा चीता बंधा रहता था। शहर के चौबुर्जा बाजार स्थित चीते वाली गली का जब जायजा लिया तो नजर आया कि वहां रहने वाले परिवार के घर के बाहर नेम प्लेटस पर नाम के बाद चीते वाला प्रमुखता से लिखा हुआ था,साथ ही गली के प्रवेश द्वार पर भी चीते वाली गली का बोर्ड लगा रखा था।
इस परिवार के पास रियासत काल के प्राचीन फोटोग्राफ भी है जिनमें उनके पूर्वज चीतों के साथ नजर आ रहे हैं। चीते वाली गली में रहने वाले सुल्तान खान ने बताया कि उनके पिताजी डॉक्टर गुलाम हुसैन दक्ष शिकारी माने जाते थे और भरतपुर के महाराजा कृष्णसिंह जब भी शिकार खेलने जाते थे उनके पिता को अवश्य साथ में लेकर जाते थे। सुल्तान खान ने बताया कि उनके पिता जब बाजार में निकलते थे तो हमेशा चीता उनके साथ ही रहता था। उनका कहना था कि घरों में चीते इस तरह घूमा करते थे जैसे आजकल कुत्ते और बिल्ली घरों में पाले जाते हैं।
उन्होंने बताया कि दशहरा के मौके पर निकलने वाली महाराजा की सवारी में भी उनके पिता चीता लेकर निकलते थे और विशेष मेहमानों के आगमन पर शिकार खेलने के दौरान उनके वालिद गुलाम हुसैन हमेशा साथ में ही रहा करते थे। अब भले ही पूरे देश में चीते की चर्चाएं जोरों पर चल रही हो लेकिन भरतपुर के बहादुर लोग चीते पाल कर अपनी बहादुरी का परिचय दे चुके है। बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत में चीते लाने का प्रयास बेहद सराहनीय है और इससे मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा ही साथ मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्यों में स्थित नेशनल पार्क भी पर्यटन की दृष्टि से और अधिक आबाद हो जाएंगे।
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