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कल थामेंगे भाजपा का दामन, विधानसभा सदस्यता छोड़ते ही हुड्डा को दी चुनौती

Admin4
3 Aug 2022 11:56 AM GMT
कल थामेंगे भाजपा का दामन, विधानसभा सदस्यता छोड़ते ही हुड्डा को दी चुनौती
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला 

इस्तीफे के बाद कुलदीप बिश्नोई ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती दी और कहा कि मैंने उनकी चुनौती स्वीकार कर इस्तीफा दे दिया है। अब हुड्डा साहब मेरे या मेरे बेटे के खिलाफ आदमपुर से चुनाव लड़ें... यह मेरी चुनौती है।

हरियाणा कांग्रेस के बागी नेता कुलदीप बिश्नोई ने बुधवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है। वह चार अगस्त को भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को अपना इस्तीफा सौंपा है। इस दौरान पूर्व विधायक रेणुका बिश्नोई, डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा, भाजपा विधायक दूड़ाराम और लक्ष्मण नापा मौजूद रहे। कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि मनमुटाव परिवार में भी हो जाते हैं। मनमुटाव दुश्मनी में नहीं बदलने चाहिए। कांग्रेस आदमपुर से चुनाव जीतकर दिखाए, मैं चुनाव हारा तो राजनीति छोड़ दूंगा। भाजपा में एक कार्यकर्ता के तौर पर ज्वाइन करूंगा। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई के इस्तीफे की जांच करा रहे हैं। इस्तीफे की भाषा ठीक है। शाम तक जांच प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। भारत निर्वाचन आयोग को सूचना भेजी जाएगी। आयोग की अधिसूचना के बाद आदमपुर सीट खाली होगी।

हुड्डा को दी चुनौती

इस्तीफे के बाद कुलदीप बिश्नोई ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती दी और कहा कि मैंने उनकी चुनौती स्वीकार कर इस्तीफा दे दिया है। अब हुड्डा साहब मेरे या मेरे बेटे के खिलाफ आदमपुर से चुनाव लड़ें... यह मेरी चुनौती है। इससे पहले कुलदीप ने ट्वीट किया कि मुसाफिर कल भी था, मुसाफिर आज भी हूं, कल अपनों की तलाश में था, आज अपनी तलाश में हूं।

छह साल बाद कांग्रेस को किया अलविदा

हिसार जिले की आदमपुर विधानसभा सीट से 2019 में कांग्रेस विधायक बने कुलदीप बिश्नोई चार अगस्त को भाजपा के शामिल हो जाएंगे। मंगलवार को कुलदीप ने आदमपुर में समर्थकों के बीच इसका एलान किया था। बुधवार को उन्होंने छह साल बाद कांग्रेस को अलविदा कह दिया और विधायक पद से भी इस्तीफा दे दिया।

आदमपुर में आसान नहीं कुलदीप की राह

भगवा धारण करने के बाद कुलदीप बिश्नोई की राह आदमपुर में आसान नहीं होगी। भले ही वह हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनौती दे रहे हो। आदमपुर से भाजपा नेता सोनाली फौगाट ने 2019 में विधानसभा चुनाव लड़ा था। कुलदीप और उनके बीच मतभेद जग जाहिर हैं। सोनाली कुलदीप के भाजपा में आने से पहले ही तीखे तेवर अपनाए हैं। वहीं हरियाणा में सत्तासीन होने के बावजूद दो उपचुनाव भाजपा हार चुकी है। बरोदा और ऐलनाबाद चुनाव में भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

छह माह में होगा आदमपुर में उपचुनाव

अब कुलदीप बिश्नोई का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद आदमपुर सीट खाली हो जाएगी। चुनाव आयोग को यहां छह माह में उपचुनाव कराना होगा। मगर भाजपा की टिकट को लेकर सोनाली फोगाट, बिश्नोई परिवार को वॉकओवर देने के मूड में नहीं हैं। हालांकि कुलदीप ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

हिसार लोकसभा सीट पर भी कुलदीप की निगाहें

कुलदीप बिश्नोई की निगाहें आदमपुर के साथ हिसार लोकसभा सीट पर भी टिकी हैं। मगर यहां भी सीट की जंग आसान नहीं है। यहां से सांसद बृजेंद्र सिंह दिग्गज जाट नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं। बीरेंद्र ने अपने बेटे की राजनीति के लिए ही खुद सियासत से संन्यास लिया है। बृजेंद्र सिंह भी आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए हैं। ऐसे में आने वाले समय में कुलदीप को भाजपा के भीतर खुद को स्थापित करने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी। वह खुद के साथ ही अपने बेटे भव्य बिश्नोई के अलावा समर्थकों का राजनीतिक भविष्य भी हिसार और अन्य जिलों की कुछ विधानसभा सीटों पर सुरक्षित करना चाहते हैं।

भाजपा से पहले भी हो चुका गठबंधन

कांग्रेस से पूर्व में नाता तोड़कर हजकां-बीएल बना चुके भजन लाल परिवार का भाजपा के साथ पहले भी गठबंधन रह चुका है लेकिन कुलदीप बिश्नोई ने राजनीतिक महत्वकाक्षाएं पूरी न होने पर न केवल भाजपा से गठबंधन तोड़ा था, बल्कि 2016 में पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था।

कांग्रेस से दूरी की यह है वजह

कुलदीप बिश्नोई हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे। आलाकमान से उन्हें उम्मीद थी। मगर पार्टी ने अप्रैल महीने में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के समर्थक पूर्व विधायक उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। इससे कुलदीप नाराज हो गए।

उन्होंने राहुल गांधी से मुलाकात का समय मांगा, जो नहीं मिला। इससे नाराजगी इतनी बढ़ी कि कुलदीप ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के बजाय निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा को वोट दे दिया। इससे उनकी नजदीकियां भाजपा से और बढ़ीं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अलावा सीएम मनोहर लाल के साथ उनकी अनेक बैठकें हुईं और यहीं से भाजपा में जाने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ।


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