पंजाब

वातावरण को शुद्ध रखने में अहम भूमिका निभाते हैं गिद्ध

Shantanu Roy
3 Sep 2022 2:12 PM GMT
वातावरण को शुद्ध रखने में अहम भूमिका निभाते हैं गिद्ध
x
बड़ी खबर
पटियाला। यूरोप की संस्था वल्चर कंजर्वेशन फाउंडेशन 3 सितंबर को इंटरनेशनल वल्चर अवेयरनेस डे के रूप में मना रही है। विश्वभर में गिद्दों के संरक्षण के लिए बड़े स्तर पर काम किया जा रहा है। गिद्दों के लिए सुरक्षित एरिया का होना बहुत जरूरी है। कोई समय ऐसा था कि 1980 में भारत में 40 मिलियन गिद्ध पाए जाते थे परंतु 2017 में इनकी संख्या 19 हजार ही रह गई। बताया जा रहा है कि 1980 के बाद गिद्धों की संख्या में कमी आनी शुरू हो गई थी। दूसरी तरफ 2020 में इनकी संख्या 40 से बढ़कर 400 तक पहुंच गई है।
चंडोला, कथलौर और डल्ला में गिद्धों के लिए वल्चर रेस्टोरेंट बनाए गए। गिद्धों को मांस खाने के लिए दिया जाता है उसकी अच्छी तरह से जांच की जाती है। जांच के बाद ही इन्हें गिद्धों को परोसा जाता है। डी.एफ.ओ. वाइल्ड का कहना है कि जब किसानों या किसी अन्य से मांस लिया जाता है तो उसे अच्छी तरह चैक किया जाता है। बता दें कि डायक्लोफेनिक का टीका जो पशुओं को लगाया जाता है वह गिद्धों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है जिसके चलते गिद्धों को देने वाले मांस की गहराई से जांच की जाती है।
धारकलां क्षेत्र जो पठानकोट में स्थित है जहां विलुप्त हुई गिद्धों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। सेबेरियुस वल्चर, हिमालयन वल्चर, ग्रिफ और व्हाइट रैपर्ड की गिनती 400 तक पहुंच गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंडोला पंजाब और हिमाचल के बार्डर पर चक्की दरिया के किनारे है। बता दें कि गिद्ध वातावरण को शुद्ध रखने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ये गिद्ध गले-सड़े मृत पशुओं को खाकर संक्रामक बीमारियां रोकने में मदद करते हैं।
Next Story