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चंडीगढ़। भ्रष्टाचार के जरिए अकूत धन-संपत्ति अर्जित करने के आरोप में विजिलेंस ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए गए स्थानीय निकाय विभाग के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (ई.ओ.) गिरीश वर्मा के बैंक लॉकरों की जांच नहीं हो पाई है। उधर विजिलेंस ब्यूरो ने इस बात की जांच को भी आगे बढ़ा दिया है कि किन उच्चाधिकारियों व राजनेताओं की जेबें गर्म करके गिरीश वर्मा लगातार लंबे समय तक चंडीगढ़ के साथ लगतीं जीरकपुर, नयागांव व खरड़ जैसी नगर कौंसिलों में जमा रहा। विजिलेंस ब्यूरो के सूत्रों का कहना है कि हालांकि सूचना के आधार पर विजिलेंस ने उसके चारों लॉकरों को सील करवा दिया था, लेकिन शनिवार को गिरीश वर्मा की पत्नी गायब हो गई। लॉकरों की चाबियां गिरीश की पत्नी के ही पास हैं, इसलिए ब्यूरो ने फिलहाल लॉकरों को खोलकर जांचने का काम चाबियां हासिल होने तक टाल दिया है। ब्यूरो ने एक टीम को गिरीश वर्मा की पत्नी की तलाश में भी लगा दिया है ताकि उसे भी जांच में शामिल करके पूछताछ की जा सके व लॉकरों की चाबियां भी हासिल की जा सकें। इसके साथ ही विजिलेंस के पास पुलिस रिमांड पर चल रहे ई.ओ. गिरीश वर्मा से उन उच्च अधिकारियों व राजनेताओं के नाम उगलवाने का प्रयास किया जा रहा है, जिनको मोटी राशि व प्रॉपर्टीज में इन्वेस्टमेंट सेटलमेंट करवाकर वह चंडीगढ़ के नजदीक वाली मलाईदार पोस्टों पर अपनी तैनाती करवाता रहा है।
सूत्रों का कहना है कि पिछली सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के बेटे के साथ गिरीश वर्मा कई जगहों पर साइलेंट पार्टनर के तौर पर इन्वैइन्वेस्टमेंट स्टमैंट करता रहा है, जिसकी जानकारी विजिलेंस द्वारा जुटाई जा रही है। ध्यान रहे कि विजिलेंस ब्यूरो ने पिछले कुछ समय से अमृतसर के भिखीविंड इलाके में ई.ओ. के तौर पर तैनात रहे गिरीश वर्मा को आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। विजिलेंस ब्यूरो को पता लगा कि 2008 से लेकर 2021 तक की समयावधि के दौरान हुई आमदन के सभी स्रोतों से गिरीश वर्मा ने 7,95,76,097 रुपए प्राप्त किए और इस समय के दौरान उसने 15,11,15,448 रुपए खर्च किए। इस तरह पाया गया कि उसने 7,15,39,352 रुपए अपनी आमदन से अधिक खर्च किए, जो कि इसकी आमदन का 89.90 प्रतिशत बनता है और यह धन उसने भ्रष्टाचार द्वारा इकट्ठा किया था।
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