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Jalandhar,जालंधर: विजिलेंस ब्यूरो (वीबी) ने होशियारपुर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के सीनियर असिस्टेंट संजीव कालिया के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने जालंधर इंप्रूवमेंट ट्रस्ट कॉलोनी में अपने पद का दुरुपयोग करके अपनी पत्नी के नाम पर प्लॉट खरीदा है। वीबी के एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि ट्रस्ट कॉलोनी में प्लॉट नंबर 828 के लिए देविंदरपाल कौर से 14,35,350 रुपये की गैर-निर्माण फीस प्राप्त किए बिना कालिया ने अपने पद का दुरुपयोग किया। इस मामले में डीलिंग करने वाला वह व्यक्ति भी नहीं था, फिर भी उसने 21 अप्रैल, 2010 को पटवारी को प्लॉट के खसरा नंबरों के बारे में रिपोर्ट करने के लिए पत्र लिखा। जैसे ही पटवारी ने यह रिपोर्ट सुपरिंटेंडेंट (सेल्स) को भेजी, कालिया ने फिर से सुपरिंटेंडेंट को दरकिनार कर दिया और 14,35,350 रुपये की गैर-निर्माण फीस प्राप्त किए बिना ही तत्कालीन चेयरमैन से प्लॉट देविंदरपाल कौर के नाम पर ट्रांसफर करवा लिया। इसके अलावा ट्रस्ट ने 13 अक्टूबर 2016 को एक पत्र जारी करके प्लाट मालिक दविंदरपाल कौर के नाम पर नो-ड्यू सर्टिफिकेट (एनडीसी) जारी कर दिया, जबकि उनकी मृत्यु 12 जनवरी 2015 को हो चुकी थी, जिस कारण एनडीसी जारी नहीं हो सकी।
उन्होंने आगे बताया कि जांच के दौरान कार्यकारी अधिकारी (ईओ) जतिंदर सिंह द्वारा दिए गए बयान के अनुसार एनडीसी पर उनके हस्ताक्षर नहीं थे, लेकिन ट्रस्ट ने 11 अक्टूबर 2024 को अपने आधिकारिक पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया था कि इस एनडीसी पर जतिंदर सिंह के हस्ताक्षर थे, क्योंकि हस्ताक्षर अन्य फाइलों पर किए गए अधिकारी के हस्ताक्षरों से मिलते जुलते थे। उनके खिलाफ अनियमितता के दूसरे मामले में यह भी पाया गया कि सोहन देई नामक व्यक्ति की 9 मरला 147 वर्ग फुट जमीन को 1976 में गुरु तेग बहादुर नगर की 110 स्कीम के तहत इंप्रूवमेंट ट्रस्ट ने अधिग्रहित किया था, लेकिन ट्रस्ट की नीति के अनुसार बदले में सोहन देई को कोई प्लाट आवंटित नहीं किया गया। ट्रस्ट में पदस्थ कालिया को मालूम था कि ट्रस्ट की 94.5 एकड़ की स्कीम गुरु गोबिंद सिंह एवेन्यू में उनके रिहायशी मकान के साथ लगता प्लॉट नंबर 276 खाली है, जिसे स्थानीय विस्थापित व्यक्ति (एलडीपी) कोटा स्कीम के तहत किसी और के नाम पर आवंटित किया जा सकता है।
इसलिए उन्होंने अपने परिचितों के माध्यम से सोहन देई से संपर्क किया और उसे मात्र 6.5 लाख रुपये देकर आदमपुर निवासी दीपक को सोहन देई की पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर अपने नाम पर रजिस्ट्री करवा ली। इसके बाद उन्होंने दीपक की पावर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर 28 अक्टूबर 2011 को कालिया की पत्नी को आवंटित करवा दिया। प्लॉट की आरक्षित कीमत मात्र 31,883 रुपये थी, जिसे उन्होंने ट्रस्ट के बैंक खाते में जमा करवा दिया। इस प्लाट की रजिस्ट्री 22 दिसंबर 2011 को सोहन देई के नाम करवाने के बाद प्लाट संख्या 276 की एनडीसी 5 मार्च 2012 के पत्र के माध्यम से प्राप्त की गई। कालिया ने 3 फरवरी 2012 को दीपक को 7 लाख रुपए का भुगतान करके प्लाट की रजिस्ट्री कलेक्टर रेट के अनुसार 21,74,000 रुपए में अपनी पत्नी उपमा कालिया के नाम करवाई थी। उन्होंने बताया कि यह भी पाया गया कि कालिया ने प्लाट खरीदने के लिए न तो अपने विभाग से मंजूरी ली और न ही बाद में विभाग को सूचित किया। उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। आरोपी संजीव कालिया को अभी गिरफ्तार किया जाना है।
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Payal
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