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अमृतसर | विवाहता को उत्पीड़ित करने के मामले में पुलिस द्वारा दर्ज किए गए केस में कानून को हाथ में लेने वाले आरोपियों को निकालने के मामले में पीड़ित लड़की और उसके अभिभावकों ने पुलिस के जांच अधिकारी के खिलाफ आवाज उठाई है। इसे लेकर मामला देहाती पुलिस से आगे चलते हुए डी.आई.जी बार्डर रेंज नरेंद्र भार्गव के पास पहुंच चुका है।
आरोप है कि जांच अधिकारी सब कुछ समझते हुए भी आरोपी पक्ष की बोली बोल रहे हैं। इस बात का खुलासा पीड़ित लड़की ने डी.आई.जी बॉर्डर रेंज को दी गई दर्खास्त में किया है। मामले का रहस्यमई पहलू है कि लड़की द्वारा शिकायत दिए जाने के उपरांत जब लड़के के खिलाफ एफ.आई.आर दर्ज की तो इसी अवधि के दौरान मुख्य आरोपी पति ही विदेश निकल जाने में सफल हो गया। वहीं एक रिश्तेदार जो उसके पति का जीजा लगता है द्वारा पुलिस की वर्दी पहनकर हथियारों सहित डराने धमकाने जैसे अपराध को भी देहाती पुलिस की जांच अधिकारी ने उसे अपराध की श्रेणी में नहीं लिया।
शिकायतकर्त्ता पक्ष ने जब बॉर्डर रेंज मुख्यालय में पेश होकर अपनी बात बताई और वर्दी पहनकर हथियारों सहित तस्वीरें भी डी.आई.जी बॉर्डर रेंज को दिखाई गई तो अधिकारी ने इस मामले को संजीदगी से लेते हुए इसकी तुरंत रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। डी.आई.जी बार्डर रेंज डॉ. नरेंद्र भार्गव आई.पी.एस को दी शिकायत में सुमनप्रीत कौर पुत्री धनराज सिंह निवासी मजीठा रोड, अमृतसर की शादी सतनाम सिंह पुत्र भूपेंद्र सिंह निवासी रमदास, तहसील अजनाला के साथ हुई। शादी के बाद लड़की का उत्पीड़न शुरू हो गया और 6 लाख रुपए व अन्य आदि की मांग की गई और मांग न पूरी होने पर उसे घर से निकाल दिया तो आगे चलते मामला पुलिस के पास पहुंचा। शिकायत में लड़की ने कहा कि उसके इसी बीच उसके पति का जीजा (नंदोई) निरवैर सिंह सुपुत्र मानसिंह उसे पुलिस की वर्दी पहनकर डराता था और गंभीर परिणाम की धमकियां देते हुए बंदूकों के साथ तस्वीरें खींच कर भेजता था।
पीड़ित परिवार ने बताया कि जब ससुराल वालों के खिलाफ उन्हें शिकायत दी तो पुलिस शुरू से ही आरोपी पक्ष की मदद करती थी। शिकायत देने और एफ.आई.आर दर्ज होने के बीच पुलिस का व्यवहार बेहद नेगेटिव चलता आ रहा था। वहीं इस मामले में डी.आई.जी बॉर्डर रेंज नरेंद्र भार्गव का कहना है कि मामले की फाइल मंगवा ली गई है और किसी के साथ अन्याय नहीं होगा ।
वहीं इस मामले में अमृतसर रूरल पुलिस में तैनात एस.पी जसवंत कौर ने कहा कि लड़के के जीजा निरवैर सिंह ने पुलिस की वर्दी अवश्य पहनी है, लेकिन उसने कोई अपराध नहीं किया। जब उनसे यह प्रश्न किया गया कि वर्दी पहनना अपने आप में ही एक अपराध है, तो एस.पी जसवंत कौर ने बात को टालते हुए उत्तर दिया कि मैंने तो रिपोर्ट भेज दी है... ‘आगे बॉस (एस.एस.पी.) के हाथ’। एस.पी ने स्पष्ट किया कि पीड़ित महिला का नंदोई निरवैर सिंह पुलिस में तो नहीं है, लेकिन उसका कहना है कि मैंने यह पुलिस की वर्दी किसी के कहने पर पहनी है। अब देखना है कि शायद यह अपराध की श्रेणी में नहीं?
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