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संगरूर। संगरूर में बकरी गायब होने के मामले को लेकर दो पक्षों में झड़प हो गई। झड़प इतनी बढ़ गई कि एक की मौत हो गई, जबकि अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। जानकारी के मुताबिक यह मामला संगरूर के गुजरा गांव का है। गांव के रहने वाले दमनदीत सिंह ने घर में बकरियां पाल रखी हैं। दमनजीत अपनी बकरियां चराने के लिए गांव के खेतों में जाता था। कल उसे किसी काम से गांव से बाहर जाना पड़ा, जिसके चलते उसने गांव नंगला में रहने वाले अपने रिश्तेदार बूटा सिंह को इस बारे में बताया और बकरियां चराने को कहा। वहां एक गांव के व्यक्ति नारंग सिंह ने भी बकरियां पाल रखी थीं। दिन में जब बूटा सिंह बकरियां चराने गए तो उनकी एक बकरी खो गई। शाम को जब दमनजीत लौटा तो उसे खोई हुई बकरी के बारे में पता चला। अत: वह अपने लड़के हिंसा सिंह और बूटा सिंह के साथ बकरी की खोज में निकल पड़ा।
इसी बीच उसका नारंग सिंह के परिवार और साथियों से विवाद हो गया और वे आपस में मारपीट करने लगे। दोनों पक्षों में हुए विवाद में बूटा सिंह व हिंसा सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। हालत गंभीर होने पर दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान बूटा सिंह ने दम तोड़ दिया। बूटा सिंह की मौत के बाद गांव में आक्रोश फैल गया और गांव वालों ने ग्रामीण मजदूर संघ के नेतृत्व में बूटा सिंह के शव को छाजली थाने के सामने रखकर धरना शुरू कर दिया। धरने पर बैठे लोगों की मांग थी कि बूटा सिंह अनूसूचित जाति से संबंधित है इसलिए उसके हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार कर एस. सी./एस. टी। अधिनियम से जोड़ा जाना चाहिए।
हड़ताल की सूचना मिलने के बाद संगरूर के एस.पी. पलविंदर सिंह चीमा और दिड़बा के डी.एस.पी. पृथ्वी सिंह चहल मौके पर पहुंचे। दोनों ने धरने पर बैठे लोगों को आश्वासन दिया कि पुलिस उनकी मांगों को मनवाने का भरसक प्रयास करेगी। एस.पी. द्वारा प्रदर्शनकारियों के आश्वासन पर धरना समाप्त किया। इस संबंध में एस.पी. पलविंदर सिंह ने बताया कि पुलिस ने बूटा सिंह की पत्नी जसवीर कौर के बयान पर छाजली थाने में नारंग सिंह के पुत्र मग्घर सिंह सहित 4 लोगों को नामजद कर कुल 6 लोगों के खिलाफ पी.सी. की धारा 302, 65, 341, 342, 323, 148, 149 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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