आज शहीद ऊधम सिंह का बलिदान दिवस है। सुनाम में उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। शहीद ऊधम सिंह के पैतृक शहर सुनाम में शहीद की चार प्रतिमाएं स्थापित हैं लेकिन चारों प्रतिमाएं, शहीद के असली चेहरे से मेल नहीं खाती हैं जबकि शहीद ऊधम सिंह की असली तस्वीरें मौजूद हैं।
विभिन्न संस्थाएं तर्क दे रही हैं कि काल्पनिक चेहरों वाली प्रतिमाएं नौजवानों को भ्रमित कर रही हैं। लंबे समय से लोगों की मांग चली आ रही है कि शहीद के असली चेहरे से मेल खाती प्रतिमाएं स्थापित की जाएं लेकिन इस मांग पर सरकार की ओर से रत्ती भर भी ध्यान नहीं दिया गया है। सीपीआई एम के तहसील सचिव वरिंदर कौशिक, एडवोकेट मित सिंह जनाल और गदरी शहीद ऊधम सिंह विचार मंच के अध्यक्ष राकेश कुमार ने कहा कि उनकी संस्था लगातार इस मांग को उठा रही है कि शहीद ऊधम सिंह की असली चेहरे वाली प्रतिमाएं स्थापित की जाएं।
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पांच दशक पहले लगा था पहला बुत
शहीद ऊधम सिंह का पहला बुत करीब पांच दशक पहले पटियाला रोड पर स्थापित किया गया था। तब भी शहीद की शक्ल को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद पटियाला बठिंडा बाइपास पर नया बुत लगाकर विवाद को शांत किया गया था। अकाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में पटियाला चौक में स्थापित शहीद की कांस्य प्रतिमा तो किसी फौजी (सैनिक) की प्रतीत हो रही है। जबकि दो साल पहले बठिंडा मार्ग पर बने मेमोरियल में स्थापित शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा उक्त तीनों प्रतिमाओं से अलग है।
लेखक राकेश और वरिंदर कौशिक ने कहा कि सभी काल्पनिक प्रतिमाएं, नौजवानों में शहीद की शक्ल को लेकर भ्रम पैदा कर रही हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब शहीद की असली चेहरे वाली तस्वीरें मौजूद हैं तो प्रतिमाओं को काल्पनिक रूप क्यों दिया जा रहा है? क्यों शहीद ऊधम सिंह के असली चेहरे को लोगों के सामने नहीं लाया जा रहा है?
संगठनों ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मांग की है कि शहीद के असली चेहरे से मेल खाती प्रतिमाएं लगाई जाएं। मुख्यमंत्री भगवंत मान इसी महान शहीद की जन्मभूमि से संबंधित हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसी महान शहीद के नाम पर बने सरकारी कालेज में शिक्षा हासिल की है और कामेडी कैरियर का आगाज भी इसी कालेज के मंच से किया था।