पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच मंगलवार को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को एक और पत्र लिखकर अपने भेजे पत्रों का जवाब देने को कहा है। हालांकि राज्यपाल ने अपने इस पत्र में भी मुख्यमंत्री के उनके प्रति व्यवहार और उनके पत्रों के प्रति उदासीनता पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया है।
राज्यपाल ने लिखा कि ‘मैं राज्यपाल कार्यालय से जारी पत्रों के प्रति आपकी उदासीनता और उन पत्रों का आधिकारिक तौर पर जवाब देने में आपकी लगातार विफलता पर दुख व्यक्त करता हूं। मैं आपको यह याद दिलाने के लिए बाध्य महसूस कर रहा हूं कि भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर का राज्यपाल कार्यालय के कामकाज के बारे में क्या कहना है। यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की उस तस्वीर का संदर्भ है, जो आपने अपने कार्यालय में लगाई हुई है, जिससे पंजाब के लोगों को यह आभास होता रहे कि आप उनके सिद्धांतों का अक्षरश: पालन करते हैं लेकिन मुझे आश्चर्य है कि क्या इसका कोई तथ्यात्मक आधार है।’
राज्यपाल ने आगे लिखा कि ‘मेरे ध्यान में लाया गया है कि एक नई योजना के जरिये, उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से लोगों को घर-द्वार पर आटा वितरित किया जाएगा और अन्य तौर-तरीकों को भी अंतिम रूप दिया गया है। मैं आपके संज्ञान में लाना चाहूंगा कि मेरे निर्देश पर राजभवन के प्रमुख सचिव ने इस मुद्दे पर मुख्य सचिव को पत्र दिनांक 24 सितंबर 2022 को लिखा था, जिसका जवाब अब तक नहीं मिला है।’ राज्यपाल ने इस पत्र के साथ मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र की कॉपी भी संलग्न की है।
राज्यपाल ने संविधान सभा में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के एक भाषण को अपने इस पत्र में उद्धृत करते हुए मुख्यमंत्री से कहा- ‘आपको डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के भाषण की याद दिलाने के बाद, ... मुझे उम्मीद है कि आप और आपके कार्यालय को भेजे मेरे सभी पत्रों का आप उत्तर भेजेंगे। मैं आपको एक बार फिर याद दिलाना चाहता हूं कि संविधान के अनुच्छेद 167 के तहत जानकारी मांगने के लगभग छह महीने बीत जाने के बाद भी आपकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है। इसलिए यह पत्र भेजा है...।’
आपने मुझे ‘वेहला’ कहाः राज्यपाल
मुख्यमंत्री के अपने प्रति व्यवहार पर तीखा कटाक्ष करते हुए राज्यपाल ने पत्र में यह भी लिखा- ‘मेरे संज्ञान में यह लाया गया है कि विधानसभा के पवित्र मंच पर अपना भाषण देते समय आपने मुझे ‘वेहला’ (निठल्ला) कहा था। हालांकि, आपके द्वारा कोई भी गाली या अपमानजनक शब्द मुझे राज्यपाल के रूप में मेरे सांविधानिक कर्तव्य का निर्वहन करने से नहीं रोक सकते।’