पंजाब
सपेरा परिवार की बेटी करेगी हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री, खुली किस्मत
Kajal Dubey
17 May 2022 11:02 AM GMT
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बड़ी खबर
वर्जीनिया यूएसए में बिजनेस एंड साइकोलाजी की पढ़ाई कर रही पंजाब की रवीना की किस्मत खुल गई है। रवीना काे अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री करने का मौका मिला है। यह उसके लिए किसी सपने से कम नहीं है।
मनदीप कुमार, संगरूर। झुग्गी-झोपड़ी में रहते जोगीनाथ परिवार हर शहर व गांव में आम देखने को मिलते हैं। आर्थिक तंगी के बीच जूझते इन परिवारों के बीच किसी लड़की के पढ़ाई-लिखाई करने का सपना देखना, चांद को हाथ लगाने के बराबर है। किंतु धूरी के जोगीनाथ संत नाथ के परिवार की बेटी रवीना ने मानों चांद जमीन पर उतार लिया है। अमेरिका के मशहूर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में मास्टर डिग्री करने और उसके लिए स्कारलशिप की पेशकश मिली है।
रवीना अपने परिवार ही नहीं, बल्कि अपने कुनबे की इकलौती ऐसी लड़की है, जिसने विदेश की जमीन पर कदम रखा है। कुनबे में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो पढ़ना लिखना जानता हो, मां-बाप या अन्य भाई-बहनों ने कभी स्कूल का मुंह तक नहीं देखा है, लेकिन परिवार की बेटी रवीना ने कुनबे की किस्मत बदलने की ठान ली है।
गरीब घर में जन्मी, नेपाल में की पढ़ाई
धूरी के जोगीनाथ संत नाथ के घर माता प्रकाशो देवी की कोख से रवीना का जन्म हुआ। आठ भाई-बहनों में से सबसे छोटी रवीना जब 3 वर्ष की थी तो परिवार हाथों से रजाई इत्यादि बनाकर बेचने का काम करता था। रोजीरोटी की तलाश में संत नाथ का परिवार अपने 500 व्यक्तियों के कबीले के साथ नेपाल चला गया। जहां सबसे छोटी बेटी रवीना ने प्राथमिक पढ़ाई आरंंभ की। 10 वर्ष की आयु में उसे एक एनजीओ में अंग्रेजी ट्रांसलेटर के तौर पर काम करने का मौका मिला। 500 सदस्यों के कबीले में वह अकेली थी, जिसने पढ़ाना सीख लिया था।
संस्था ने बदली किस्मत, लड़कियों के लिए बनी मददगार
परिवार ने बताया कि 5 वर्ष काम करने के उपरांत कुईलट्स फार किड्स नामी नान प्रोवेट एबल संस्था के डायरेक्टर मिस्टर जेम्स जी हैपकिनज ने रवीना को बतौर मैनेजर तैनात कर दिया। यह संस्था जोगीनाथ बिरादरी की महिलाओं के हाथों द्वारा तैयार की जाती रजाई व चादरों को अंतरराष्ट्रीय मार्केट में बेचकर उनके मुनाफे तथा अन्य संस्थानों की मदद से उनकी लड़कियों को पढ़ाकर रोजगार दिलाने में मदद करती है। अब तक सैकड़ों लड़कियों को पढ़ाई के काबिल बना चुके हैं।
अपनी बिरादरी की लड़कियों के उद्धार के लिए बनाई संस्था
वर्ष 2018 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन रवीना ने यूनाइटेड नेशनस फाउंडेशन के सहयोग से नेपाल में संस्था बनाकर अपनी बिरादरी की लड़कियों के लिए काम करना शुरू कर दिया। बिरादरी में छोटी आयु में ही लड़कियों के विवाह कर देने की प्रथा के मद्देनजर बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगी। रवीना का परिवार भी 3 बार उसे शादी के लिए कह चुका था, लेकिन रवीना ने इसका विरोध किया। अपनी संस्था की मदद से वह बिरादरी की लड़कियों को पढ़ाई के लिए जागरूक करने लगी।
रवीना के प्रयास को देखकर अमेरिका से मिला पढ़ाई का आफर
परिवार का कहना है कि रवीना जब 10वीं में थी, तब से ही वह समाजसेवी गतिविधियों में अग्रसर हो गई व एनजीओ दि जार्जिया बी राइडर फाउंडेशन ने उच्च विद्या के लिए अमेरिया आकर पढ़ाई करने की पेशकश की। संस्था ने रवीना की पढाई का सारा खर्च उठाने का भरोसा दिलाया। इसके चलते वह स्वीट ब्राइर कालेज वर्जीनिया यूएसए में बिजनेस एंड साइकोलाजी के विषय में पढ़ाई कर रही हैं। दुनिया भर में अमेरिका के मशहूर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें मास्टर डिग्री करने की पेशकश मिल चुकी है।
अपनी पिछली छुट्टियों के दौरान रवीना ने विश्व की सबसे बड़ी ब्रेकरोज कंपनी यूबीएस के लिए भी काम किया। उसे वर्ष 2020 में लीडरशिप रैकोगनेशन सर्टिफिकेट मिलने सहित पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने पर उसका नाम अकेडमिक डीन की सूचि में शामिल किया गया है।
रवीना पिछले तीन वर्ष से अपने कालेज में इंटरनेशनल कल्चर क्लब की प्रधान बनी हुई है। रवीना को अपने कालेज में बोर्ड सदस्य आफ डायवर्सिटी की सदस्य के तौर पर काम करने का मौका मिला है। यह बोर्ड अमेरिका में विभिन्न देशों से आए विद्यार्थियों की भलाई के लिए काम करता है। रवीना को इस वर्ष इंग्लैंड व फ्रांस में जाकर विजुअल आर्ट कोर्स करने के लिए स्कालरशिप मिली है।
स्वीट ब्राइर कालेज में बढ़िया शैक्षणिक प्रदर्शन करने के बदले में उसे कालेज मैनेजमेंट की तरफ वाइट गोल्ड की अंगूठी से सम्मानित किया गया है। कालेज द्वारा रवीना काे रेजिडेंट एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया गया है। ऐसे में वह अब हास्टल में रहती लड़कियों की मुश्किलों का निपटारा करने में सहयोग देती है।
एसएसपी ने किया परिवार को सम्मानित
एसएसपी संगरूर मनदीप सिंह सिद्धू ने रवीना के परिवार पिता संत नाथ व माता प्रकाशो देवी को सम्मानित किया तथा रवीना से बातचीत की। सिद्धू ने कहा कि बुलंद हौसले व मेहनत की बदौलत रवीना आज विदेश की धरती पर इलाके का नाम रोशन कर रही है। बेटियों को खुले हवा में उड़ने का मौका प्रदान करें तो वह हर मुकाम हासिल कर सकती हैं।
सांप पकड़ने का काम करते हैं जोगीनाथ परिवार
जोगीनाथों के बच्चों को शिक्षित करने में जुटे श्री गुरु नानक देव चेरीटेबल स्लम सोसायटी के प्रतिनिधि भान सिंह जस्सी पेधनी ने बताया कि जोगीनाथ परिवार सांप पकड़ने, फटे-पुराने कपड़े चुगकर उनके गलीचे, टोकरी बनाकर बेचने, गिद्दड़सींधी बेचने व बीन बजाकर गांवों में घर-घर मांगने का काम करते हैं। परिवार के साथ ही बच्चों भी यही कामकाज करते हैं। वह पिछले लंबे समय से इनके बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। जोगीनाथों के परिवार अधिकतर तौर पर एक शहर से दूसरे शहरों की तरफ रोजी-रोटी के लिए रुख करते हैं।
जागरूकता की कमी के कारण अकसर इन परिवारों की लड़कियों को अधिक पढ़ाया लिखाया नहीं जाता है, बल्कि उन्हें घरों तक सीमित रखा जाता है। ऐसे में अगर धूरी के संतनाथ के परिवार के बेटी अगर विदेश की धरती पर पढ़ाई करने के लिए पहुंची है तो यह बेहद खुशी की बात है। क्योंकि इन परिवारों में अधिकतर लड़कियों को ऐसा मौका नहीं मिलता है।
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