पंजाब

सुप्रीम कोर्ट ने महिला की मौत के 18 साल बाद सुनाया बड़ा फैसला, डॉक्टर को अब 25 लाख रुपये देने पड़ेंगे

Renuka Sahu
11 Jun 2022 5:27 AM GMT
Supreme Court has given a big decision after 18 years of the death of the woman, now the doctor will have to pay Rs 25 lakh
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फाइल फोटो 

गॉल ब्लैडर से स्टोन निकालने के बाद महिला की मौत के 18 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। गॉल ब्लैडर से स्टोन निकालने के बाद महिला की मौत के 18 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने पटियाला के एक डॉक्टर को 'चिकित्सीय लापरवाही' के लिए दोषी ठहराते हुए परिवार के लिए 25 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अदालत ने पटियाला में प्रीत सर्जिकल सेंटर और मातृत्व अस्पताल चलाने वाले लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ गुरमीत सिंह को मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया है. हालांकि, अदालत ने कहा कि दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (डीएमसीएच), लुधियाना के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ अतुल मिश्रा को किसी भी चिकित्सा लापरवाही का दोषी नहीं पाया गया, जहां मरीज की हालत बिगड़ने के बाद उसे इलाज के लिए ले जाया गया था.

दरअसल, सेवक कॉलोनी, पटियाला के निवासी हरनेक सिंह ने बताया था कि उनकी पत्नी मंजीत कौर (47) को पेट में दर्द हुआ था और उन्हें गॉल ब्लैडर में पथरी का पता चला था. 13 जुलाई 2004 को, उन्होंने डॉ गुरमीत सिंह से संपर्क किया और एक ऑपरेशन कराने का फैसला किया. हरनेक सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि 28 जुलाई 2004 को, डॉ गुरमीत सिंह ने लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी की और रोगी के पेट में एक नली डाल दी. 29 जुलाई 2004 को रोगी ने पेट में दर्द और खिंचाव की शिकायत की. जब डॉक्टर को इसकी जानकारी दी गई तो उन्होंने कहा कि ऐसा होता है. लेकिन अगले दिन मरीज की हालत गंभीर हो गई.
मृतक के पति ने शिकायत में बताया कि डॉ गुरमीत सिंह ने हमें आश्वस्त किया और मरीज को ऑक्सीजन देना शुरू किया. राजिंद्र अस्पताल, पटियाला के लिए दूसरी राय या रेफरल के अनुरोध को एक और आश्वासन देकर खारिज कर दिया गया था कि मरीज सुरक्षित हाथों में था. फिर उस शाम बाद में, डॉ गुरमीत सिंह ने हमें बताया कि समस्या का कारण तीव्र अग्नाशयशोथ था और सर्जरी में कुछ भी गलत नहीं था.
शिकायत के मुताबिक "30 जुलाई 2004 को रात के करीब 9 बजे, डॉ गुरमीत सिंह ने मरीज को डीएमसीएच लुधियाना में ट्रांसफर करने और रोगी को डॉ अतुल मिश्रा के पास रेफर करने का फैसला किया, लेकिन डॉ गुरमीत सिंह ने रोगी के रिकॉर्ड और ऑपरेशन नोट देने से मना कर दिया. डीएमसीएच में डॉक्टरों को स्थिति के बारे में पर्याप्त रूप से समझाया गया था. डीएमसीएच के आंकलन के अनुसार, पिछली सर्जरी के दौरान पित्त नली और संभवतः आंत में भी आईट्रोजेनिक चोट का संदेह था. "2 अगस्त 2004 को, रोगी की हालत गंभीर हो गई और 11 अगस्त 2004 को उसकी मौत हो गई.
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