पंजाब

47 वर्षीय दिल के मरीज में डाला स्टंट, PGI में पहली बार किया गया रोबोटिक सर्जरी

Renuka Sahu
1 Sep 2022 5:44 AM GMT
Stunt performed in 47-year-old heart patient, robotic surgery performed for the first time in PGI
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फाइल फोटो 

पी.जी.आई. एडवांस कार्डियक सेंटर में एक रेयर सर्जरी की गई। सैंटर में रोबोट की मदद से दुनिया का पहला बायोरसोरेबल स्टंट इम्प्लांटेशन किया गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पी.जी.आई. एडवांस कार्डियक सेंटर में एक रेयर सर्जरी की गई। सैंटर में रोबोट की मदद से दुनिया का पहला बायोरसोरेबल स्टंट इम्प्लांटेशन किया गया है। यह केस पी.जी.आई. एडवांस कार्डियक सैंटर के हैड प्रो यश पॉल शर्मा की देखरेख में हुआ है। 47 वर्षीय पुरुष कोरोनरी ऑर्टरी की ब्लॉकेज के साथ आया था। मेन कोरोनरी धमनियों का 90 प्रतिशत स्टेनोसिस था। कार्डिएककैथ लैब के कोरिंडस रोबोटिक आर्म के जरिए बायोरेसोरेबल स्टेंट का सफल ट्रांसप्लांट हुआ है। इस टैक्नीक की खास बात यह है कि स्टंट अपना काम करने के बाद यानी ऑर्टरी की ब्लॉकेज खोलने के बाद शरीर में डिसॉल्व हो जाएगा।

दो तरह के होते हैं स्टंट
कोरोनरी स्टंट एक ट्यूब के जैसी डिवाइस होती है जिसे ब्लॉकेज होने पर आर्टरी में लगाया जाता है, ताकि हार्ट को पूरी तरह खून की सप्लाई मिलती रहे। सर्जरी के जरिए स्टंट को आर्टरी के उस हिस्से में लगाया जाता है, जहां कोलेस्ट्रॉल जमने से ब्लड सप्लाई नहीं हो पाती है और हार्ट अटैक का खतरा रहता है। बेयर मेटल स्टंट नॉर्मल स्टंट होता है, जबकि खास तरह के ड्रग एल्यूटिंग स्टंट पर मैडिसिन लगी होती है, इसलिए उसकी कॉस्ट थोड़ी ज्यादा होती हैं।
ऐसे में बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा
हार्ट बॉडी का एक ऐसा पार्ट है, जो बिन रुके लगातार काम करता रहता है। इसके मसल्स को ऐसे में ब्लड की जरूरत लगातार होती है जिसका काम हार्ट की ऑर्टरी (धमनियां) करती हैं। कोरोनरी आर्टरी डिजीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हार्ट की ऑर्टरीज (धमनियों) में ब्लॉकेज हो जाती है। ऐसे में ब्लड का फ्ली हार्ट में सही नहीं हो पाता। इससे मरीज को चैस्ट पेन से लेकर हार्ट अटैक होने तक का खतरा बढ़ जाता है।
कैथ लैब में रोबोट के जरिए हुआ प्रोसैस
पी.जी.आई. में कार्डियोलॉजी विभाग का एडवांस्ड कार्डिएक सेंटर भारत का पहला केंद्र है, जहां रोबोटिक असिस्टेड पी.सी.आई. किए गए हैं। सेबोटिक पी. सी. आई. का पहले चरण का प्रशिक्षण किया जा चुका है और जल्द ही उद्घाटन की उम्मीद है। ऐसे में पी.जी.आई. की कैथ लैब में रोबोट के जरिए स्टंट का प्रोसैस हुआ करेगा। रोबोटिक पी. सी. आई. में उच्च स्तर की सटीकता का लाभ है और जोखिम को कम करता है। भारत में विकसित थिनर स्ट्रट्स (100 माइक्रोन) के साथ नए बायोरसोरेबल स्टंट पेश किए गए हैं। अब यह स्टेट 2-3 साल में शरीर में घुल जाते हैं जिससे प्राकृतिक धमनी बरकरार रहती है। पुरानी समय में इनका साइज 50 माइक्रोन था।
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