पंजाब

पुलिस का सख्त रवैया, किसानों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ की जमकर नारेबाजी

Shantanu Roy
16 Sep 2022 2:40 PM GMT
पुलिस का सख्त रवैया, किसानों ने प्रशासन और सरकार के खिलाफ की जमकर नारेबाजी
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लुधियाना। प्रशासन ने 'भारत माला सड़क योजना' के तहत एक्वायर जमीन पर कब्जा कर लिया तो किसानों ने इसका विरोध किया और पुलिस ने उनके ऊपर लाठीचार्ज कर दिया। गत दिन जैसे ही एस.डी.एम. कुलप्रीत सिंह लुधियाना पश्चिम, तहसीलदार रमन कुमार मुल्लांपुर, उप तहसीलदार हरीश कुमार पश्चिम लुधियाना, डी.एस.पी. मुल्लांपुर दाखा, एस.एच.ओ. पुलिस थाना दाखा, एस.एच.ओ. रायकोट सदर व अन्य भारी पुलिस बल गांव भट्टियां ढाहां में अधिग्रहित भूमि पर कब्जा लेने पहुंचे तो बड़ी संख्या में किसान मौके पर पहुंच गए जिन्होंने प्रशासन द्वारा जबरन कब्जे का विरोध करते हुए प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।स्थिति उस समय गंभीर हो गई, जब पुलिस प्रशासन ने एकत्रित लोगों पर लाठियों से हमला किया और किसानों को खदेड़ कर डंडों से पीटा, तो वहां मौजूद बड़ी संख्या में महिलाओं ने इसका विरोध किया। पुलिस ने किसान नेता जसवंत सिंह भट्टियां, पंच रणजीत सिंह बाठ, प्रधान बलविंदर सिंह, लवप्रीत सिंह समेत कुछ किसानों को जबरन थाने में बंद कर दिया।
प्रशासन द्वारा जमीन पर कब्जा करने की जानकारी मिलने के बाद रोड संघर्ष यूनियन और किसान यूनियन के नेता भट्टियां ढाहां पहुंचे और हांबड़ा-मुल्लांपुर मुख्य मार्ग पर धरना दिया। धरने की अगुवाई करते किसान नेता बेअंत सिंह भट्टियां, नंबरदार रंजीत सिंह भंगू, सरपंच हरप्रीत सिंह भंगू, अध्यक्ष बलजिंदर सिंह भंगू, निदेशक कुलदीप सिंह धालीवाल, आढ़ती जगतार सिंह कैले, नंबरदार गुरमेल सिंह भट्टियां, अध्यक्ष जीत सिंह बाठ और अन्य किसानों ने जहां प्रशासन खिलाफ जमकर नारेबाजी की वहीं पुलिस प्रशासन की धक्केशाही खिलाफ धरना देते हुए उच्च अधिकारियों से किसानों की जबरन जमीन जब्त करने की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। इस दौरान हलका दाखा से विधायक मनप्रीत सिंह अयाली ने धरना में हिस्सा लिया और किसानों के साथ खड़े होने का ऐलान किया और प्रशासन को किसानों से बातचीत कर मामले को सुलझाने की अपील की। मौके पर मौजूद विधायक अयाली एस. डी.एम. कुलप्रीत सिंह से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जिन किसानों को अभी तक भुगतान नहीं मिला है उन्हें उनकी जमीन का कब्जा लेते समय विश्वास में लिया जाना चाहिए ताकि प्रशासन और किसानों के बीच टकराव को रोका जा सके।
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