पंजाब
6 पीढियों से बचा रहे हैं लोगों की जान, प्रशासन नहीं ले रहा कोई सुध
Shantanu Roy
28 Sep 2022 4:26 PM GMT
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बड़ी खबर
लुधियाना। सतलुज दरिया पर आए दिन छलांग लगाने व अन्य कई तरह के हादसे होते रहते हैं। इन हादसों में कई लोग अपनी जान भी गवां बैठते हैं। दरिया पर बैठे गोताखोर कई लोगों को तो मौत के मुंह से बचा लेते हैं और जो लोग अपनी जान गवां देते हैं, उनकी लाशों को भी अपनी जान जोखिम में डाल कर निकालते हैं। कुछ दिन पहले भी एक नवविवाहिता दरिया में छलांग लगा दी, परन्तु दरिया के किनारे बैठे गोताखोर रणजीत व उसके साथी टिंकू की अचानक उस पर नजर पड़ी तो उन्हें कुछ शक होने पर उसे आवाज लगाई। अपनी जान की परवाह किए बिना दरिया में कूद गए। टीम के साथ बचाव कार्य करते हुए उसे मुश्किल से बचा लिया गया। इन गोताखोरों का कहना है कि कई बार लाश इतनी गली-सड़ी होती है कि परिवार के लोग लाश को पहचाने के बाद उसके पास आने भी हिम्मत नहीं करते, लेकिन गोताखोर उसे निकालने के बाद उसे साफ कर परिवार के हवाले करते हैं। वहीं गोताखोरों के प्रधान रणजीत मसीह ने बताया कि वे लोग एक ही गांव के परिवार के रहने वाले हैं।
जो कि पिछली 6 पीढियों से इस काम में लगे हुए हैं। अपने पूर्वजों के दिखाए गए रास्ते पर चल कर ही अपने परिवारों का पालन-पोषण कर रहे हैं। अभी भी 20 के करीब परिवार इस काम में लगे हुए हैं, जहां तक परिवार के बच्चों को भी वह खुद ही ट्रेनिंग देते हैं। हर रोज एक या दो शव निकालते हैं या लोगों एक-दो लोगों को बचाते हैं। कई बार लाशें पीछे से भी बहती हुई आ जाती हैं। हर समय बिना सुरक्षा उपकरणों के अपनी जान जोखिम में डाल कर काम करते हैं। किसी को बचाने या लाश को निकालने के लिए 50 फुट नीचे तक भी पानी में चले जाते हैं, कई बार तो गोताखोरों की तबीयत भी खराब हो जाती है। लेकिन प्रशासन की तरफ से इन गोताखोरों को कोई सहायता नहीं मिलती। केवल पीड़ित परिवार के लोग ही उन्हें मेहताना देते हैं, कई बार तो परिवार की हालत भी इतनी नाजुक होती है कि उस परिवार से कोई पैसा भी नहीं ले सकते। सरकार की तरफ से सरहिंद नहर, गिल नहर पर काम करने वाले गोताखोरों को वेतन दिया जाता है, जबकि इस बेल्ट पर काम करने वालों को कोई सहायता नहीं दी जाती।
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