न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
लोक लेखा समिति के अध्यक्ष कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी हैं। उनकी अध्यक्षता वाली समिति में भाजपा विधायक अभय यादव, सुभाष सुधा, नरेंद्र गुप्प्ता, निर्मल रानी, कांग्रेस विधायक अमित सिहाग, शैली, जजपा विधायक जोगी राम सिहाग और आजाद विधायक रणधीर गोलन शामिल हैं। समिति ने अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को हुए नुकसान की जिम्मेदारी तय करने और कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
हरियाणा के सात सरकारी महकमों की लापरवाही से सरकार को 22 करोड़ रुपये की चपत लगी है। खेल परिषदों और खेल एवं शारीरिक फिटनेस प्राधिकरण ने खेल विभाग से सुविधाओं पर खर्च करने के लिए मिले 10 करोड़ निजी खातों में रखे। इससे सरकार को 3:38 करोड़ रुपये के ब्याज का नुकसान हुआ।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने पेशेवर सेवा प्रदाता कंपनी को 1.15 करोड़ रुपये अधिक जारी कर दिए। विधानसभा की लोक लेखा समिति ने वित्त वर्ष 2019-20 की अपनी रिपोर्ट में 19 सरकारी महकमों की कारगुजारी की पोल खोली है। इनमें से 12 विभागों ने करोड़ों रुपये के बजट खर्च के उपयोगिता प्रमाण पत्र ही महीनों गुजरने के बाद भी नहीं दिए। मानसून सत्र के अंतिम दिन 10 अगस्त को समिति ने सदन पटल पर यह रिपोर्ट रखी।
रिपोर्ट के अनुसार खाद्य एवं आपूर्ति विभाग भी अपने काम में लापरवाह बरतने में पीछे नहीं रहा। विभाग के अधिकारियों ने 161 करोड़ रुपये का ब्याज लेने के लिए 199 से 921 दिन देरी से दावा किया। इससे कैश क्रेडिट लिमिट (सीसीआर) पर 13.15 करोड़ रुपये उल्टा ब्याज चुकाना पड़ गया।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने रेवाड़ी में बैंक्वेट हॉल से लीज राशि नहीं वसूली। इससे 49 लाख रुपये की वित्तीय हानि हुई। फरीदाबाद में काम पूरा करने में ठेकेदार ने अतिरिक्त व्यय किया, जिस पर उसे 1.61 करोड़ की रिकवरी डाली गई। प्राधिकरण अधिकारियों ने उसे भी नहीं वसूला। 1057 कर्मचारियों का चेक बैंक बाउंस होने पर श्रमिक कल्याण बोर्ड को 1.54 करोड़ का चूना लगा। बोर्ड ने डिफाल्टर से इस राशि की ब्याज सहित रिकवरी ही नहीं की।
किस विभाग में कितना नुकसान
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग 13.15 करोड़
खेल विभाग 3.38 करोड़
शहरी विकास प्राधिकरण 40 लाख
श्रम विभाग 1.54 करोड़
शहरी स्थानीय निकाय 1.15 करोड़
जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी 1.01 करोड़
सेकेंडरी शिक्षा 1.34 करोड़
समिति ने कार्रवाई के लिए अनेक सिफारिशें की
लोक लेखा समिति के अध्यक्ष कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी हैं। उनकी अध्यक्षता वाली समिति में भाजपा विधायक अभय यादव, सुभाष सुधा, नरेंद्र गुप्प्ता, निर्मल रानी, कांग्रेस विधायक अमित सिहाग, शैली, जजपा विधायक जोगी राम सिहाग और आजाद विधायक रणधीर गोलन शामिल हैं। समिति ने अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को हुए नुकसान की जिम्मेदारी तय करने और कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।
खेल परिषदों व प्राधिकरण के चार साल तक फंड निजी खातों में रखना गंभीर मामला है। जिस काम के लिए राशि ली गई, वे भी नहीं हुए। इससे खिलाड़ियों को नुकसान हुआ। इसकी जांच कराकर सरकार दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र देरी से देने वाले विभागों में अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय की जाए।