Ludhiyana: फर्जी शिक्षा और कार्य प्रमाण पत्र जारी करने वाले रैकेट का भंडाफोड़
लुधियाना Ludhiana: पुलिस ने अमेरिका में प्रवास करने के इच्छुक आवेदकों को जाली शैक्षणिक डिग्री और कार्य अनुभव प्रमाण Work Experience Proof पत्र प्रदान करने वाले बड़े पैमाने के रैकेट में शामिल सात आरोपियों के एक समूह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी फर्जी दस्तावेज जारी करने के लिए मोटी रकम वसूलते थे और यहां तक कि आवेदकों को उनके अमेरिकी वीजा आवेदनों को मजबूत करने के लिए उनके खातों में बढ़ा हुआ बैंक बैलेंस दिखाने में भी मदद करते थे। सात आरोपियों में से तीन लुधियाना के हैं।यह मामला नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के क्षेत्रीय सुरक्षा कार्यालय में एक विदेशी आपराधिक जांचकर्ता एरिक सी मोलिटर्स की शिकायत के बाद पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव के आदेश पर गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के नेतृत्व में जांच के बाद सामने आया।आरोपियों में जीरकपुर के छत्त गांव के अमनदीप सिंह, उनकी पत्नी पूनम रानी, लुधियाना के सेंट्रल ग्रीन के अंकुर कोहर, बठिंडा के गुरु गोबिंद सिंह नगर के अक्षय शर्मा, मोहाली के कमलजोत कंसल (लुधियाना स्थित एक कंसल्टेंसी के मालिक), फ्रेंड्स कॉलोनी के रोहित भल्ला और बरनाला की कीर्ति सूद शामिल हैं।
शिकायत में खुलासा हुआ कि वीजा सलाहकार रेड लीफ इमिग्रेशन और ओवरसीज पार्टनर एजुकेशन कंसल्टेंट्स धोखाधड़ी की गतिविधियों में शामिल थे। इन एजेंटों पर अमेरिकी दूतावास और सरकार को धोखा देने के लिए अमेरिकी वीजा आवेदनों पर गलत जानकारी प्रस्तुत करने का संदेह था।शिकायत में आवेदकों से जुड़े पांच विशिष्ट मामलों पर प्रकाश डाला गया- हिमाचल प्रदेश की सिमरन ठाकुर, मानसा की लवली कौर, जगरांव की हरविंदर कौर, नवांशहर की रमनीत कौर और हरियाणा के राहुल कुमार- जिन्होंने शैक्षिक डिग्री, कार्य अनुभव प्रमाण पत्र और बैंक बैलेंस सहित जाली दस्तावेज प्रस्तुत किए।अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी, जांच) अमनदीप सिंह बराड़ की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने कहा कि आरोपियों ने आवेदकों से फर्जी प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए पैसे लिए और दूतावास को यह विश्वास दिलाने के लिए बैंक बैलेंस दिखाने में उनकी मदद की कि उनके पास विदेश में रहने के लिए पर्याप्त धन है। आवेदकों में से एक सिमरन ठाकुर ने जाली बीएससी डिग्री के लिए ₹2 लाख का भुगतान किया, जबकि लवली कौर ने फर्जी बैंक बैलेंस दस्तावेज और कार्य अनुभव प्रमाण पत्र के लिए ₹18,000 का भुगतान किया।
जांच में यह भी also under investigation पाया गया कि कीर्ति और अक्षय समेत आरोपी छोटे-छोटे दफ्तर चलाते थे, जो इन फर्जी दस्तावेजों को जारी करने में मदद करते थे। रुद्र कंसल्टेंसी सर्विस के मालिक अंकुर कोहर ने आवेदकों के लिए फर्जी बैंक बैलेंस की व्यवस्था करने में मदद की, जिससे वे दूतावास के अधिकारियों को धोखा दे सकें।डिवीजन नंबर 5 पुलिस स्टेशन में धारा 318(4) (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी), 61(2) (आपराधिक साजिश) और धारा 24 इमिग्रेशन एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।मामले की जांच कर रहे सब-इंस्पेक्टर धर्मपाल ने बताया कि पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी शुरू कर दी है।