पंजाब: HC ने कहा झूठे मामले में फंसाने की संभावना को ध्यान में रखना जरूरी
ब्रेकिंग न्यूज़: हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता का बयान किसी व्यक्ति को दोषी करार देने के लिए पर्याप्त होता है लेकिन इसके लिए अदालत को सच्चाई का विश्वास दिलाना जरूरी होता है पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में शिक्षक को दोषमुक्त करते हुए कहा कि पीड़िता की गवाही अहम होती है लेकिन फैसला लेते हुए झूठे मामले में फंसाने की संभावना को भी ध्यान में रखना जरूरी होता है। केवल पीड़िता की गवाही के आधार पर आरोपी को दोषी करार दिया जा सकता है लेकिन कहानी का विश्वसनीय होना बेहद जरूरी है। जींद के एक शिक्षक ने पॉक्सो एक्ट में सुनाई गई 14 साल की सजा के आदेश को चुनौती देते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। याचिका में बताया गया कि याची जिस स्कूल में शिक्षक था वहां पढ़ने वाली छात्रा ने उसके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दी थी।
पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार किया था। याची ने बताया कि इस मामले में लड़की ने शिकायत देने में छह माह की देरी की थी। साथ ही कोई ठोस मेडिकल सुबूत भी उपलब्ध नहीं है। इन सबके बावजूद याची को दोषी करार देते हुए उसे 14 साल की सजा सुना दी गई। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में केवल पीड़िता के बयान के आधार पर सजा सुनाई गई है। पीड़िता छह माह तक मौन रही और दुष्कर्म के बारे में किसी को भी नहीं बताया जो अस्वाभाविक है। इस मामले में पीड़ित पक्ष याची के खिलाफ ऐसे साक्ष्य पेश नहीं कर सका जो याची को दोषी साबित करता हो।
पीड़िता का बयान किसी व्यक्ति को दोषी करार देने के लिए पर्याप्त होता है लेकिन इसके लिए अदालत को सच्चाई का विश्वास दिलाना जरूरी होता है। साथ ही ऐसे मामलों में फैसला सुनाते हुए यह भी ध्यान रखना जरूरी होता है कि कहीं आरोपी को झूठे मामले में तो नहीं फंसाया जा रहा है। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने याचिका को मंजूर करते हुए याची को दोषमुक्त करने का आदेश दिया है।