पंजाब
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री के भतीजे भूपिंदर सिंह उर्फ हनी व अन्य आरोपियों की एफआईआर रद्द किए जाने की मांग पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने किया खारिज
Ritisha Jaiswal
12 Aug 2022 11:52 AM GMT
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह उर्फ हनी व अन्य आरोपियों की एफआईआर रद्द किए जाने की मांग पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है.
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह उर्फ हनी व अन्य आरोपियों की एफआईआर रद्द किए जाने की मांग पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है. पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि पंजाब में अवैध रेत खनन का खतरा बढ़ रहा है. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में इस मामले में मार्च 2018 में दर्ज एफआईआर की गंभीरता से जांच करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव था. न्यायमूर्ति करमजीत सिंह ने जोर देकर कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि बेईमान व्यक्तियों द्वारा किए जा रहे अवैध खनन ने पूरे पर्यावरण ढांचे को खराब कर दिया है, जिससे क्षेत्र के पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र को बहुत नुकसान हुआ है.
न्यायमूर्ति करमजीत सिंह ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में थी, तब अवैध रेत खनन के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने से पता चलता है कि राज्य सरकार और पुलिस के पास एफआईआर की गंभीरता से जांच करने की कोई 'राजनीतिक इच्छाशक्ति' नहीं थी. पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भतीजे भूपिंदर सिंह उर्फ हनी और एक अन्य याचिकाकर्ता कुद्रतदीप सिंह बीते 18 जुलाई को आईपीसी की धारा 379, 406, 420, 465, 468, 471 और 120-बी के तहत चोरी, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, आपराधिक साजिश और अन्य अपराधों के लिए दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग कर रहे थे. राहत मुख्य रूप से इस आधार पर मांगी गई थी कि इस मामले में पहले भी मार्च 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई थी
न्यायमूर्ति करमजीत सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता का पूर्व सीएम चन्नी से गहरा संबंध था. एफआईआर दर्ज होने के समय राज्य में कांग्रेस सत्ता में थी. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज अपने बयान में कहा कि बरामद नकदी में से 6/7 करोड़ रुपये पिछले छह महीनों के दौरान राकेश चौधरी और मोहन पाल से खनन से संबंधित कार्यों में सुविधा के लिए प्राप्त किए गए थे. शेष 3-4 करोड़ रुपये पंजाब सरकार के कर्मचारियों के राजनीतिक कनेक्शन के माध्यम से तबादलों की व्यवस्था करने के बदले प्राप्त हुए, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि प्राथमिकी दर्ज होने पर याचिकाकर्ता सत्तारूढ़ सरकार से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ था.
"इन परिस्थितियों में, 6/7 मार्च, 2018 को अवैध रेत खनन की घटनाओं से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करना, जब पंजाब में कांग्रेस सत्ता में थी और आगे पुलिस द्वारा याचिकाकर्ता कुदरत दीप सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही थी, जिसे विशेष रूप से नामित किया गया था. प्राथमिकी से पता चलता है कि राज्य सरकार और पुलिस अधिकारियों के पास एफआईआर की सही गंभीरता से जांच करने के लिए कोई 'राजनीतिक इच्छाशक्ति' नहीं थी और केवल ड्राइवरों आदि का चालान किया गया था, जबकि मुख्य आरोपियों को छोड़ दिया गया था.
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