पंजाब

दिल्ली मॉडल की तर्ज पर पंजाब सरकार बनाने जा रही नई पॉलिसी, जल्द जारी हो सकता है टेंडर

Shantanu Roy
10 Sep 2022 3:21 PM GMT
दिल्ली मॉडल की तर्ज पर पंजाब सरकार बनाने जा रही नई पॉलिसी, जल्द जारी हो सकता है टेंडर
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बड़ी खबर
जालंधर। आज से करीब 4 साल पहले 2018 में उस समय की कांग्रेस सरकार ने पंजाब आउटडोर एडवरटाइजमेंट पॉलिसी लांच की थी। उस पॉलिसी के तहत पंजाब के प्रमुख शहरों में यूनीपोल तथा अन्य विज्ञापन लगने थे। राज्य को करोड़ों रुपए की आय होनी थी परंतु कांग्रेसी नेताओं के अयोग्य नेतृत्व के कारण यह पॉलिसी पूरी तरह फेल साबित हुई और पंजाब रैवेन्यू के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया। अब आम आदमी पार्टी की सरकार ने पंजाब में नई आउटडोर एडवरटाइजमेंट पॉलिसी लाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं और इसके लिए दिल्ली मॉडल अपनाया जा रहा है। नई पॉलिसी लाने के लिए पंजाब के बड़े और प्रमुख शहरों से डाटा जुटाने का काम भी शुरू हो चुका है और माना जा रहा है कि जल्द ही पूरे पंजाब के विज्ञापनों का एक ही टेंडर लगाकर बड़ी कंपनी को यह काम सौंपा भी जा सकता है।
विज्ञापनों में होते आए हैं घोटाले ही घोटाले
विज्ञापन पॉलिसी के फेल होने और इस मामले में करोड़ों अरबों के घोटाले होना कोई नई बात नहीं है। जब चौधरी जगजीत सिंह (अब स्वर्गीय) पंजाब के लोकल बॉडीज मंत्री हुआ करते थे, तब जालंधर निगम में करोड़ों रुपए का एडवरटाइजमेंट घोटाला हुआ था जिसे बी.ओ.टी स्कैंडल का नाम दिया गया था। उस स्कैंडल के तहत राजनेताओं और अधिकारियों के अलावा एक विज्ञापन एजेंसी ने जालंधर से ही करोड़ों रुपए की अवैध कमाई कर ली थी। उसके बाद पंजाब के अन्य शहरों में भी विज्ञापन घोटाले हुए। पिछली कांग्रेस सरकार की बात करें तो विज्ञापन पॉलिसी अपनाए जाने के बाद भी जालंधर निगम पूरे शहर के विज्ञापनों का टेंडर ही नहीं लगा सका और करीब 15 बार यह फेल साबित हुआ। इस आड़ में हजारों अवैध विज्ञापन लगाकर करोड़ों की कमाई कर ली गई। हाल ही में भी एक और विज्ञापन घोटाला सामने आया जब निगम अधिकारियों ने 26 यूनिपोल्ज की अलॉटमेंट बिना टेंडर लगाए एक मनचाही एजैंसी को सौंप दी। इस मामले में बढ़ रहे दबाव को देखते हुए अब आम आदमी पार्टी की सरकार पूरे पंजाब के विज्ञापनों के लिए जल्द नई पॉलिसी लाने जा रही है ताकि विज्ञापनों से कमाई शुरू हो सके।
खत्म हो सकते हैं छोटे ठेकेदार
आम आदमी पार्टी दिल्ली की तर्ज पर आउटडोर एडवरटाइजमेंट पॉलिसी लाने तो जा रही है परंतु इस सरकार का ध्यान यह कारोबार किसी बड़ी एजैंसी या बड़े ठेकेदार को देने की ओर बताया जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो इस काम में लगे छोटे ठेकेदार खत्म हो सकते हैं। ऐसी सूरत में एक्साइज पॉलिसी की तरह प्रस्तावित विज्ञापन पॉलिसी भी विवादों में घिर सकती है।
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