पंजाब

Punjab Chakka Jam : पनबस और पीआरटीसी की 2500 बसों के थमे पहिए

Uma Verma
3 April 2025 5:12 AM GMT
Punjab Chakka Jam : पनबस और पीआरटीसी की 2500 बसों के थमे पहिए
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पंजाब | पंजाब में आज पनबस और पीआरटीसी (पंजाब रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन) के कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर चक्का जाम हड़ताल की घोषणा कर दी है। इस हड़ताल के चलते प्रदेशभर में 2500 से अधिक बसों के पहिए थम गए हैं, जिससे हजारों यात्री परेशान हो गए हैं। खासकर छात्रों, नौकरीपेशा लोगों और ग्रामीण क्षेत्रों के यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

क्यों हो रही है हड़ताल?

बस ऑपरेटरों और कर्मचारियों की मुख्य मांगें लंबित वेतन, स्थायी भर्ती और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली से जुड़ी हैं। उनका कहना है कि सरकार बार-बार आश्वासन दे रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

बकाया वेतन : कई महीनों से वेतन लंबित है, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

निजीकरण का विरोध : कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार परिवहन व्यवस्था का निजीकरण कर सरकारी बस सेवाओं को खत्म करना चाहती है।

OPS की बहाली : पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर सरकार से लंबे समय से बातचीत चल रही है, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला।

यात्रियों की बढ़ी परेशानी

बसों की हड़ताल के चलते स्कूल-कॉलेज जाने वाले छात्र, नौकरीपेशा लोग और ग्रामीण क्षेत्रों में सफर करने वाले यात्री सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं।

कई बस स्टैंडों पर यात्रियों की लंबी कतारें देखी गईं।

ऑटो, टैक्सी और निजी बस ऑपरेटरों ने किराए बढ़ा दिए, जिससे यात्रियों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ा।

रोजाना सफर करने वाले लोगों को वैकल्पिक साधन नहीं मिलने से लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ी।

सरकार का रुख

पंजाब सरकार ने इस हड़ताल पर सख्ती दिखाते हुए कहा है कि कर्मचारियों की मांगों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अनिश्चितकालीन हड़ताल से आम जनता को परेशानी में डालना सही नहीं है। प्रशासन ने बस सेवाएं सुचारू करने के लिए प्राइवेट बस ऑपरेटरों को तैनात किया है, लेकिन हड़ताल की वजह से सरकारी परिवहन व्यवस्था लगभग ठप हो गई है।

क्या आगे होगा?

अगर सरकार और कर्मचारियों के बीच सहमति नहीं बनती, तो हड़ताल अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है। इससे आम लोगों की दिक्कतें और बढ़ेंगी। वहीं, कर्मचारी यूनियन ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जा सकते हैं।

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