पंजाब
अकाली दल के घमासान पर बोले परमिंदर ढींडसा, सुखबीर बादल पर बोला हमला
Shantanu Roy
10 Aug 2022 1:43 PM GMT
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चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा ने शिरोमणि अकाली दल में झूंदा कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरह लागू करने के लिए आवाज उठाने वाले वरिष्ठ अकाली नेताओं की प्रशंसा की और कहा कि झूंदा कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक विधानसभा चुनाव में अकाली दल की हुई शर्मनाक हार के लिए सीधे तौर पर सुखबीर सिंह बादल को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस कारण पार्टी का संगठनात्मक ढांचा भंग करने के साथ-साथ सुखबीर बादल को भी पार्टी की अध्यक्षता से इस्तीफा देने के बागी स्वर उठ रहे हैं। परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि कुछ सीनियर लीडरशिप ने सुखबीर बादल का विरोध कर साहसी काम किया है। सुखबीर की शिअद में तानाशाही नीतियां, पंथक सिद्धांतों के उलट किए फैसलों के कारण आज सुखबीर बादल के खिलाफ विद्रोही स्वर नजर आ रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब सुखबीर बादल के पास पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा झूंदा कमेटी की रिपोर्ट को मुकम्मल तौर पर लागू करने के लिए बुलंद की आवाज एक बड़ी पहल है लेकिन इसके बावजूद भी सुखबीर बादल की हेकड़ी बरकरार है। इस बात का अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि पार्टी का संगठनात्मक ढांचा भंग करने के बाद सुखबीर बादल ने सारी शक्तियां अपरोक्ष तौर पर अपने पास रखी हुई हैं। सुखबीर बादल द्वारा अपनी कठपुतलियों की अनुशासनी कमेटी बनाकर पंथ और पंजाब विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेताओं को दबाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अब शिअद में सुखबीर बादल का तानाशाही रवैया नहीं चलेगा।
उन्होंने पार्टी में बैठे बाकी नेताओं से अपील की कि अब पंजाब और पंथ की भलाई के लिए शिरोमणि अकाली दल को बचाने का वक्त आ गया है इसलिए वह सुखबीर बादल को पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाने की हिम्मत दिखाएं। परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि आज सुखदेव सिंह ढींडसा द्वारा कही गई सभी बातें सही साबित हो रही हैं। यदि सुखदेव सिंह ढींडसा के कहे अनुसार पहले फैसले लिए जाते तो आज पंजाब में शिरोमणि अकाली दल की सरकार होती। उन्होंने कहा कि यह बड़े दुख की बात है कि किसी समय पंजाब के प्रमुख राजनीतिक दलों में से एक शिरोमणि अकाली दल को विधानसभा में विपक्षी दल में बैठने का सौभाग्य नहीं मिला। सुखबीर बादल की मनमानी और तानाशाही नीतियों के कारण वरिष्ठ अकाली और टकसाली नेता बादल दल से दूर हो रहे हैं।
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