न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
जम्मू के नवां शहर के कस्बा सिब्बल के रहने वाले शंभू नाथ साल 2010 में गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे। पाकिस्तान पुलिस ने उन्हें भी पकड़ कर अदालत में पेश किया था। अदालत ने शंभू को 12 साल की कैद सुनाई। इस दौरान उन्हें सियालकोट और कोट लखपत जेल में रखा गया।
पाकिस्तान की जेल से रिहाई के बाद दो भारतीय नागरिक वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत पहुंचे। पाक रेंजर्स ने इन दोनों भारतीय बंदियों को जीरो लाइन पर बीएसएफ के अधिकारियों के हवाले किया। जहां से उन्हें इमीग्रेशन अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया गया। नायब तहसीलदार अजय कुमार ने प्रोटॉकाल अधिकारी अरुण माहल की मदद से दोनों की औपचारिकताएं मुकम्मल करवाने के बाद गुरु नानक देव अस्पताल के रेड क्रास वार्ड में दाखिल करवा दिया और अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर हरप्रीत सिंह सूदन के जरिए इनके परिजनों को इसकी सूचना दे दी गई है।
प्रोटॉकाल अधिकारी अरुण माहल ने बताया कि एक भारतीय नागरिक का नाम कुलदीप कुमार है, जो गुजरात राज्य के गांधी नगर के गोपाल नगर इलाके के रहने वाले हैं। वह 1991 में गलती से पाकिस्तान की सीमा में दाखिल हो गए थे। जहां से पाकिस्तान की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था। पाकिस्तान की अदालत ने कुलदीप को 26 साल कैद की सजा सुनाई और लाहौर की कोट लखपत जेल में रखा गया।
दूसरे नागरिक जम्मू के नवां शहर के कस्बा सिब्बल के रहने वाले शंभू नाथ हैं। वह साल 2010 में गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे। पाकिस्तान पुलिस ने उन्हें भी पकड़ कर अदालत में पेश कर दिया था। अदालत ने उन्हें 12 साल की कैद सुनाई थी। इस दौरान उन्हें सियालकोट और कोट लखपत जेल में रखा गया था।
दोनों के अटारी पहुंचने पर कोविड जांच की गई और इमीग्रेशन और कस्टम के बाद नायब तहसीलदार अजय कुमार ने उन्हें गुरु नानक देव अस्पताल के रेड क्रास वार्ड में दाखिल करवाया। नायब तहसीलदार ने कहा कि उन्होंने इसकी जानकारी संबंधित राज्यों के प्रशासनिक अधिकारियों को दे दी है, ताकि वे यहां आकर उन्हें ले जा सकें।