पंजाब

सिविल अस्पताल की फार्मेसी में 245 में से सिर्फ 65 दवाएं

Rani Sahu
3 Aug 2022 6:11 PM GMT
सिविल अस्पताल की फार्मेसी में 245 में से सिर्फ 65 दवाएं
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मर्ज दवाइयों से तो ठीक होता है, कई बार डॉक्टर की सकारात्मकता भी मरीजों में नई ऊर्जा का संचार करती है

मर्ज दवाइयों से तो ठीक होता है, कई बार डॉक्टर की सकारात्मकता भी मरीजों में नई ऊर्जा का संचार करती है, जिससे मरीज ठीक भी हो जाते हैं। लेकिन जब डॉक्टर और फार्मासिस्ट ही कहें की मर्ज ठीक करने वाली दवाएं बाहर से खरीद लीजिए तो इलाज के लिए आया मरीज निराशा से भर जाता है।

झल्लाहट में डॉक्टरों को खरी-खोटी सुनाने के बाद जो दवा मिलती है, उसे लेकर निकल जाता है। क्या इस तरह सिविल अस्पताल में आने वाले मरीज स्वस्थ हो पाएंगे। सर्दी, जुकाम, बुखार, इन्फेक्शन, दस्त और एलर्जी की दवाएं आउट ऑफ स्टॉक हैं। मरीजों का कहना है कि अस्पताल वाले 10 रुपये की पर्ची बनाते हैं तो इतने की दवा तो दें, खाली पर्ची पर लिखने से मर्ज ठीक नहीं होगा।
बात शहीद बाबू लाभ सिंह सिविल अस्पताल जालंधर की है, करोड़ों और लाखों की मशीनें जरूर हैं लेकिन कुछ रुपये में मिलने वाली दवा न मिलने से मरीज परेशान है। सिविल अस्पताल की फार्मेसी में 245 में से सिर्फ 65 दवाएं ही हैं। सिविल अस्पताल की फार्मेसी की हालत ऐसी है कि कुछ मरीजों को एकाध दवा मिल जाती हैं लेकिन कुछ को खाली हाथ ही लौटना पड़ रहा है। सोमवार को सिविल अस्पताल में सुबह 11 बजे ओपीडी का रिएलिटी चेक किया गया तो पता चला कि एक हजार से अधिक मरीज आए लेकिन दवाएं न मिलने के कारण मायूस लौट गए। दवा लेने के लिए फार्मेसी के बाहर लाइन में लगे लोगों के बीच लावारिस कुत्ते भी बैठे थे, जिन्होंने मरीजों को काटने की कोशिश की। लोगों ने फार्मेसी कर्मचारियों को बताया लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
पैसे होते तो हम सिविल अस्पताल क्यों आते
दो साल के बेटे दीप का इलाज कराने आई दादी निंदर निवासी रामनगर जालंधर ने कहा कि पोते को दस्त की समस्या है और पेट में इन्फेक्शन हो गया है। डॉक्टर ने पांच दवाएं लिखीं और फार्मेसी वालों ने एक दवा देते हुए बाकी बाहर से खरीदने को कहा। अगर पैसे होते तो हम सिविल अस्पताल क्यों आते और घंटों लाइन में लगकर पर्ची लेकर इलाज के लिए भटकते।
दवा न मिलने से मायूस हुई बच्ची
जालंधर मकसूदां की प्रभजोत (5) को इन्फेक्शन की समस्या थी। बलदेव पिता इलाज कराने पहुंचे थे। जब पर्ची में लिखी कोई दवा नहीं मिली तो मायूस चेहरे से बोली… पापा मैं ठीक कैसे हो पाऊंगी। डॉक्टर अंकल कह रहे थे दवा खाकर ठीक हो जाओगी लेकिन दवा तो दी ही नहीं। बलदेव ने कहा पिछले दो माह से परेशान हो रहे हैं लेकिन पहले कुछ दवाएं मिल जाती थीं, आज एक भी नहीं मिली।
घर का खाना चलाना मुहाल, बाहर से दवा कैसे खरीदें
रानी निवासी जालंधर का पति जीवन कुमार टीबी का मरीज है और बेटा नीरज ठीक से चल नहीं पा रहा। डॉक्टर को दिखाने के बाद जब वह दवा लेने आई तो एक भी नहीं मिली। जिससे रानी के आंसू छलक आए। रानी ने कहा कि दिहाड़ी करके घर को चला रही हूं। सिविल अस्पताल गरीबों के इलाज के लिए है लेकिन यहां तो गरीब को कोई पूछता ही नहीं है। जिस घर में दो टाइम का खाना मिलना भी मुहाल हो, उन्हें बाहर से दवा लेने के लिए कह रहे हैं। 10 रुपये की पर्ची बनाते हो तो उतने की दवा दो, पर्ची पर लिख देने से मर्ज ठीक नहीं होगा।
जब दवा नहीं है तो मत लिखिए
आबादपुरा के कमल ने कहा कि मुझे कुछ दिनों से स्किन इंफेक्शन है, डॉक्टर ने दवाएं लिखकर भेज दिया लेकिन फार्मेसी में एक भी नहीं मिली। डॉक्टर ने सिट्राजिन की 7 खुली गोलियां एक लिफाफे में थमाते हुए कहा कि ये खाओ ठीक हो जाएंगे। जो दवाएं पर्ची पर लिखी हैं, उनकी बाजार कीमत 450 रुपये है, जब दवा नहीं है तो पर्ची पर लिखिए मत।अस्पताल में दवाओं का स्टॉक बहुत कम है लेकिन जो दवा खत्म हो जाती है और इमरजेंसी में आवश्यकता को देखते हुए दो हजार रुपये की दवा रोज खरीदनी पड़ रही है। इसमें एंटी रैबीज और काला पीलिया के टीके और दवा, एआरबी और टोप टेस्ट के लिये सामग्री शामिल हैं। पिछला टेंडर 31 जुलाई को खत्म हो गया, फ्लूड पास हो चुका है दवाएं आनी शुरू हो गई हैं, जल्द ही स्टॉक पूरा कर लिया जाएगा। डॉक्टरों से सुबह मीटिंग में मर्ज के हिसाब से जो सॉल्ट उपलब्ध हैं, उनको तरजीह देने को कहा जाता है लेकिन मरीज की कंडीशन को देखते हुए कई दवाएं खिलनी पड़ती हैं, जो फिलहाल में हमारे पास नहीं हैं। – डॉ. राजीव शर्मा, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, सिविल अस्पताल जालंधर।
मेरे हिसाब से 245 दवाओं में से 90 दवाएं मिल रहीं हैं। टेंडर हो चुका है, दवाएं अमृतसर वेयर हाउस में टेस्ट की जा रही हैं और 15 अगस्त के बाद जिले के सभी अस्पतालों, सीएचसी और डिस्पेंसरियों में सभी दवाएं उपलब्ध होंगी। हाल ही में स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब भर के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों से फोन कर किस मर्ज में कौन सी दवा को तवज्जो देनी है, उनकी राय जानी थी। इसके बाद ही दवाओं की अप्रूवल मिली। ये पहली बार है, जब 245 दवाएं सिविल अस्पतालों में उपलब्ध होंगी। – डॉ. रमन शर्मा, सिविल सर्जन जालंधर।
Rani Sahu

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