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कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं पाया गया दोषी

Admin4
10 Aug 2022 12:06 PM GMT
कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं पाया गया दोषी
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न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रजिस्ट्री घोटाले के मामले को उठाया और सरकार पर निशाना साधा। हुड्डा ने कहा कि इस सरकार में केवल एसआईटी बनती हैं और रिपोर्ट किसी की नहीं आती।

हरियाणा सरकार ने कोरोना काल में हुई रजिस्ट्रियों को क्लीनचिट दे दी है। सरकार की जांच में कोई अधिकारी और कर्मचारी दोषी नहीं पाया गया है, न ही सरकार को राजस्व का कोई नुकसान हुआ है। उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने यह जानकारी महम से विधायक बलराज कुंडू के अतारांकित सवाल के जवाब में विधानसभा में दी। कुंडू ने पूछा था कि कोरोना काल में हुई फर्जी रजिस्ट्रियों की संख्या कितनी है और इस रजिस्ट्री घोटाले की जांच में कितने अधिकारी व कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। सरकार को इससे कितना नुकसान हुआ है।

गौर हो कि कोरोना काल में नियमों को तोड़कर हुई रजिस्ट्रियों के मामले की हरियाणा सरकार ने जांच कराई थी। तीन अप्रैल, 2017 से 13 अगस्त 2021 तक पंजीकृत दस्तावेजों की जांच में पाया गया था कि नियमों का उल्लंघन कर 64577 रजिस्ट्रियां की गई थीं। विधानसभा के बीते बजट सत्र में मुख्यमंत्री ने वर्ष 2010 से 2016 तक जमीन की रजिस्ट्रियों में 7-ए के उल्लंघन की जांच का भी आदेश दिया था। इतना ही नहीं इस मामले में अब तक राजस्व विभाग के 786 अधिकारियों व कर्मचारियों को चार्जशीट करते हुए नोटिस जारी किए जा चुके हैं।

इनमें 133 सब-रजिस्ट्रार, 97 संयुक्त सब-रजिस्ट्रार, 156 लिपिकों और 400 से अधिक पटवारी शामिल हैं। हालांकि, अधिकतर कर्मचारियों व अधिकारियों ने नोटिस के जवाब नहीं दिए हैं। इस मामले को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर रहा है। मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने रजिस्ट्री घोटाले के मामले को उठाया और सरकार पर निशाना साधा। हुड्डा ने कहा कि इस सरकार में केवल एसआईटी बनती हैं और रिपोर्ट किसी की नहीं आती।

1810 एकड़ का अवॉर्ड नहीं कर सकते, हमारी कोशिश भू मालिकों को राहत देने की: मनोहर

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि मानेसर तहसील के गांव कासन, कुकरेला और सहरावन की 1810 एकड़ भूमि को लेकर सरकार चाहकर भी जमीन का अवॉर्ड नहीं कर सकती। हमारी कोशिश है कि भू मालिकों को किसी प्रकार से राहत दी जा सके, ताकि उनके नुकसान की भरपाई हो सके। इसके लिए योजना लाई जाएगी। इसके अलावा मामले में सरकार की नीति के अनुसार जमीन अधिग्रहण के समय जहां गांव बसे थे या मकान बने थे उनकी जमीन का ही अवॉर्ड किया जाएगा। आउस्टीस नीति के तहत आउस्टीस को प्लॉट दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल विधानसभा में पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उपरोक्त जमीन का अधिग्रहण उस समय के रेट के अनुसार किया गया था, जोकि वर्तमान के मुकाबले काफी कम थे। रेट को लेकर भूमालिक सुप्रीम कोर्ट गए थे और वर्ष 2020 में न्यायालय ने आदेश जारी किए थे कि अधिग्रहण तो पुराने रेट पर ही होगा। इसलिए सरकार अब अवॉर्ड नहीं कर सकती। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2010 में 1810 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था।

जमीन अधिग्रहण से जुड़े एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सदन के नेता ने कहा कि विकास परियोजनाओं के लिए जहां जमीन उपलब्ध नहीं हो पाती और विभाग से परियोजना की नॉन-फिजिबिलिटी रिपोर्ट आ जाती है तो ऐसी परिस्थितियों में स्थानीय विधायक भी जमीन उपलब्ध करवाने के लिए सरकार का सहयोग करें। चाहे वहां सरकारी जमीन हो या जमीन की खरीद करनी हो या पंचायत जमीन उपलब्ध हो, वे जमीन उपलब्ध करवाने का प्रयास अवश्य करें।

मनोहर लाल ने कहा कि आज बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण संभव नहीं है और अधिग्रहण करने पर कई बार भूमालिक न्यायालयों में चले जाते हैं और प्रक्रिया लंबी हो जाती है तथा सरकार को कलेक्टर रेट से चार गुना अधिक रेट पर जमीन खरीदनी पड़ती है।

विजिलेंस को जल्द जांच पूरी करने के लिए देंगे निर्देश: मुख्यमंत्री

सीएम मनोहर लाल ने कहा कि फरीदाबाद नगर निगम में सड़क निर्माण के टेंडरिंग के मामले में जारी विजिलेंस जांच को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए जाएंगे। जांच में जो अधिकारी या कर्मचारी दोषी पाया जाएगा, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। फरीदाबाद एनआईटी के विधायक नीरज शर्मा के पूछे गए सवाल के जवाब में मनोहर लाल ने कहा कि नगरपालिका नियम, 1976 के नियम 8 में यह उल्लेखित है कि निर्माण कार्य में 10 प्रतिशत तक ही एन्हांसमेंट की जा सकती है, इससे अधिक नहीं। हालांकि, कई मामलों में 10 प्रतिशत से अधिक भी एन्हांसमेंट की गई है।

इसका कारण यह है कि नियम 8 की परिभाषित व्याख्या सही नहीं है। उन्होंने कहा कि विभाग को निर्देश दिए जाएंगे कि इस व्याख्या को सही किया जाए। यदि कहीं 10 प्रतिशत से अधिक एन्हांसमेंट है तो रि-टेंडर किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लोगों के सहयोग से तय किया गया है कि यह सड़क तारकोल की नहीं आरएनसी की ही बननी चाहिए। इसलिए तारकोल और आरएनसी के रेट में अंतर आया। यदि उसमें किसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी जांच कर कार्रवाई की जाएगी। विधायक नीरज शर्मा ने मांग की है कि जांच की समय सीमा तय की जाए और आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए।

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